नरेंद्र मोदी के फिर PM चुने जाने से पड़ोसी देशों में खौफ, चीन-पाकिस्तान में मची खलबली

Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Narendra Modi Swearing in Ceremony: नरेंद्र मोदी 9 जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. नरेंद्र मोदी की तीसरी बार भारत की सत्ता में वापसी देख पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन में खलबली मच गई है. आलम यह है कि दोनों देश अपने आपसी रिश्ते को और अधिक मजबूत करने में अभी से जुट गए हैं.

दरअसल, नरेंद्र मोदी के तीसरी बार पीएम बनने का रास्ता साफ हो गया है. बीजेपी और एनडीए ने मोदी को अपने संसदीय दल का नेता चुन लिया है. पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में चीन और पाकिस्तान को छोड़कर दक्षिण एशियाई देशों के लगभग सभी राष्ट्राध्यक्ष शामिल होने आ रहे हैं. वहीं, चीन और पाकिस्तान में भारत के और मजबूत होने का खतरा सताने लगा है.

बता दें कि चीन और पाकिस्तान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिकॉर्ड तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर पैनी नजर बनाए हुए हैं. शुक्रवार को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को दोनों देशों के बीच सामरिक सहयोग को प्रगाढ़ बनाने पर चर्चा की.

इन देशों के नेता होंगे शामिल

कल यानी 09 जून को नरेंद्र मोदी एक बार फिर भारत के पीएम पद की शपथ लेंगे. इस शपथ ग्रहण समारोह में नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, भूटान, सेशेल्स और मॉरीशस के शीर्ष नेताओं के शामिल होने की संभावना है. समारोह में सार्क (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) देशों के अन्य सभी नेता भी शामिल होंगे. वहीं, पाकिस्तान और चीन ऐसे देश होंगे, जिसके नेता शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होंगे.

रिश्ते मजबूत करने में जुटे चीन-पाकिस्तान

ज्ञात हो कि तीसरी बार मोदी की वापसी से पाकिस्तान और चीन में खलबली मच गई है. ऐसे में दोनों देश अपने आपसी रिश्ते को और अधिक मजबूत करने में अभी से जुट गए हैं. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया, “चीन एक-दूसरे का दृढ़ता से समर्थन करने, सहयोग को मजबूत करने, रणनीतिक समन्वय को प्रगाढ़ बनाने, क्षेत्रीय शांति, स्थिरता में अधिक योगदान देने के लिए पाकिस्तान के साथ काम करने के लिए तैयार है.”

शरीफ ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “हमने बहुआयामी पाकिस्तान-चीन संबंधों के विभिन्न आयामों पर बातचीत की और अपनी दीर्घकालिक व दृढ़ मित्रता, सदाबहार रणनीतिक सहयोग, आर्थिक व व्यापार संबंधों और सीपीईसी को लेकर चर्चा हुई.

 

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