NASA: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और विल्मोर की वापसी का रास्ता अब साफ हो गया है. दरअसल, नासा और स्पेसएक्स का क्रू-10 मिशन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंच गया है. बता दें कि फैल्कन 9 रॉकेट में गए इस मिशन के चारों सदस्य अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचे हैं. ऐसे में डॉकिंग और हैच खुलने के बाद चारों अंतरिक्ष यात्रियों ने क्रू-9 मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों से मुलाकात की.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नौ महीने से अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर बुधवार को धरती के लिए रवाना होंगे. दरअसल, नासा और स्पेसएक्स का क्रू-10 मिशन शनिवार को फैल्कन 9 रॉकेट के जरिये अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए रवाना हुआ था. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचे चार नए अंतरिक्ष यात्री अमेरिका, जापान और रूस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जिसमें एन मैक्लेन, निकोल आयर्स, जापानी अंतरिक्ष यात्री तकुया ओनिशी और रूसी अंतरिक्ष यात्री किरिल पेस्कोव शामिल है.
अगले हफ्ते धरती पर लौटेगी सुनीता
बता दें कि क्रू-10 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय स्टेशन पर पहुंचे चारों अंतरिक्ष यात्रियों ने स्टेशन में प्रवेश किया. इस दौरान उन्होंने बुच विल्मोर और सुनीता विलियम्स से मुलाकात की. और आने वाले दिनों में वो और भी जानकारियां प्राप्त करेंगे. वहीं, माना जा रहा है कि यदि मौसम साफ रहा तो अगले सप्ताह विल्मोर, विलियम्स और दो अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने वाला स्पेसएक्स कैप्सूल बुधवार से पहले अंतरिक्ष स्टेशन से अलग हो जाएगा और फ्लोरिडा के तट पर उतरेगा.
किस मिशन पर गईं थी सुनीता विलियम्स?
बता दें कि 5 जून 2024 को नासा का बोइंग क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन लॉन्च किया गया था. इस मिशन के तहत नासा ने अपने दो अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बैरी बुच विल्मोर को 8 दिन की यात्रा पर भेजा था, लेकिन स्टारलाइनर में कुछ खराबी आ जाने के वजह से अंतरिक्ष यात्री वही फंस गए.
दरअसल, यह अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान की पहली उड़ान थी. जिस मिशन पर सुनीता और बैरी हैं वो नासा के व्यावसायिक क्रू कार्यक्रम का हिस्सा है. बता दे कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का लक्ष्य अमेरिका के निजी उद्योग के साथ साझेदारी में अमेरिका से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक सुरक्षित, विश्वसनीय और कम लागत के मानव मिशन भेजे. इसी उद्देश्य से यह टेस्ट मिशन लॉन्च किया गया था.
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