NASA Mars Mission: चंद्रमा पर पहुंचने के बाद अब जल्द ही मंगल ग्रह पर इंसान अपने कदम रखेंगे. इस दिशा में नासा को एक बड़ी सफलता भी हाथ लगी है. दरअसल, मंगल ग्रह के वातावरण की तरह ही डिजाइन किए गए एक खास घर में नासा के चार वैज्ञानिक 378 दिन बिताने के बाद सकुशल बाहर आ चुके हैं. इस मिशन के जरिए नासा इस शोध में लगा हुआ है कि यदि इंसानों को मंगल ग्रह पर भेजा जाता है तो ऐसे में क्या-क्या करना होगा.
चार वैज्ञानिकों ने बिताया एक साल
बता दें कि पिछले साल नासा के चार वैज्ञानिक एंका सेलारियु, रॉस ब्रॉकवेल, नाथन जोन्स और टीम लीडर केली हेस्टन मंगल ग्रह पर जाने के मिशन से जुड़े कार्यक्रम का हिस्सा बने. इस दौरान उन्होंने मंगल ग्रह पर मनुष्य कैसे रहेंगे, क्या चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा ऐसे ही तमाम बातों का अध्ययन किया. वहीं, 378 दिन बाद टेक्सास के ह्यूस्टन में “मंगल ग्रह” की तर्ज पर बने आवास से बाहर आने पर इन वैज्ञानिकों का सभी लोगों ने जोरदार तरीके से स्वागत किया.
वैज्ञानिकों के चेहरे पर दिखी मुस्कान
इस दौरान वैज्ञानिकों ने इस घर में मार्सवॉक किया और सब्जियां भी उगाई. एक साल तक मानवीय संपर्क से दूर रहना उनके लिए बिल्कुल वैसा ही था जब कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन का सिहरन पैदा करने वाला अनुभव था. लेकिन शनिवार को बाहर निकलने पर चारों वैज्ञानिकों के चेहरे हंसी से खिल उठे थे.
इस खास आवास में क्या-क्या है?
मंगल ग्रह की तर्ज पर बने इस आवास को 3डी प्रिटिंग से तैयार किया गया है, जिसे मार्स ड्यून अल्फा नाम दिया गया है. 1,700 वर्ग फुट क्षेत्रफल के इस घर में शयनकक्ष, एक जिम, सामान्य क्षेत्र और खेत भी हैं. इसके अलावा एक आउटडोर क्षेत्र भी है, जो लाल रेत से भरा है. यहीं पर टीम ने अपने “मार्सवॉक” के लिए सूट पहना था.
नासा का यह पहला मिशन
नासा के जॉनसन अंतरिक्ष केंद्र के उप निदेशक स्टीव कोर्नर ने बताया कि यह मिशन नासा के तीन मिशनों में से पहला है. उन्होंने बताया कि अमेरिका की लक्ष्य अपने आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत इंसानों को चंद्रमा पर भेजना है. जिसका उद्देश्य यह है कि इंसान वहां लंबे समय तक रहना सीख सकें और बाद में साल 2030 तक मंगल ग्रह की यात्रा की तैयारी में मदद कर सकें.
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