15 साल में धरती से गायब हो गई लाखों किलोमीटर की समुद्री बर्फ, NASA ने किया चौकाने वाला दावा

Aarti Kushwaha
Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Aarti Kushwaha
Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

NASA Video: धरती के इकोसिस्टम को संतुलित करने से लेकर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों तक को कम करने वाली समुद्री बर्फ धीरे धीरे कम हो रही है. पिछले कुछ वर्षो में यह बर्फ लाखों के वर्ग किलोमीटर तक कम हो गई है. इस बात की जानकारी NASA और नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर (NSIDC) की रिसर्च में मिली है.

वहीं, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने इस घटना का एक ग्राफिक वीडियो भी शेयर किया है, जो काफी चौकाने वाला है. इसके साथ ही एजेंसी ने आकड़े भी जारी किए है, जिससे पता चलता है कि धरती के दोनों ध्रुवों पर समुद्री बर्फ तेजी से पिघल रही है, जिसके तहत आर्कटिक और अंटार्कटिका में पिछले 15 साल में ही लाखों वर्ग किलोमीटर की समुद्री बर्फ गायब हो गई है.

13 लाख वर्ग किलोमीटर की कमी

NASA के मुताबिक इस साल 22 मार्च को जब आर्कटिक में समुद्री बर्फ अपने वार्षिक उच्चतम स्तर पर होनी चाहिए थी, उस वक्‍त इसकी मात्रा केवल 5.53 मिलियन वर्ग मील (143 लाख वर्ग किमी) रह गई, जो यहां की सबसे कम सर्दियों की बर्फ है. हालां‍कि इससे पहले यह साल 2017 के 5.56 मिलियन वर्ग मील (144 लाख वर्ग किलोमीटर) के पिछले निम्नतम स्तर से भी नीचे गिर गई है.

इसी तरह 1 मार्च तक अंटार्कटिक में समुद्री बर्फ सिर्फ 764,000 वर्ग मील (19.8 लाख वर्ग किमी) ही बची थी. यह अब तक दर्ज किए गए दूसरे सबसे कम स्तर के बराबर है. यह 2010 से पहले अंटार्कटिका में सामान्य 1.10 मिलियन वर्ग मील (28 लाख वर्ग किलोमीटर) की बर्फ से 30% कम है. हाल के सालों में नई बर्फ कम बन रही है. इस साल का अधिकतम बर्फ कवर 1981 और 2010 के बीच के औसत स्तरों से 510,000 वर्ग मील (13 लाख वर्ग किलोमीटर) कम था.

लगभग भारत के क्षेत्रफल की बर्फ गायब

साफ शब्‍दों में कहें तो धरती पर समुद्री बर्फ की कुल मात्रा अब तक के सबसे कम स्तर पर पहुंच गई है. वहीं, वैश्विक स्तर पर इस वर्ष फरवरी के मध्य में बर्फ कवरेज में 2010 से पहले के औसत से 1 मिलियन वर्ग मील (25 लाख वर्ग किलोमीटर) से अधिक की कमी आई है. यानी पृथ्वी पर समुद्री बर्फ का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह गायब हो गया है, जो भारत के क्षेत्रफल के दो-तिहाई जितना है.

क्‍या बोले वैज्ञानिक?

इसी बीच मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट में नासा के गोडार्ड स्पेस फ़्लाइट सेंटर में एक बर्फ वैज्ञानिक लिनेट बोइसवर्ट का कहना है कि हम अगले गर्मियों के मौसम में कम बर्फ के साथ आने वाले हैं, जो भविष्‍य के लिए सही नहीं है.  इसके अलावा, अमेरिका के नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर के एक बर्फ वैज्ञानिक वॉल्ट मायर ने कहा है कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि धरती से बर्फ की चादर खत्म होना एक स्थायी पैटर्न है या यह आने वाले वर्षों में पहले के स्तर पर वापस आ जाएगा.

इसे भी पढें:-बदलेंगा इतिहास…तीसरी बार राष्ट्रपति बनेंगे डोनाल्ड ट्रंप? जानिए क्या है अमेरिका में इसके नियम

 

Latest News

Yogi सरकार सभी प्रमुख त्योहारों पर यात्रियों की सरल और सुगम यात्रा का कर रही प्रबंध

Varanasi: शक्ति की आराधना के पर्व नवरात्रि पर यदि आप विंध्याचल धाम जाना चाहते हैं तो योगी सरकार आप...

More Articles Like This