बर्फ के गोले पर एलियन खोजेगा NASA! बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा के लिए आज भेजेगा अंतरिक्ष यान

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

NASA Europa Clipper Mission: अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी नासा बर्फ के गोले पर एलियंस को खोजने जा रहा है. यह बर्फ का गोला बृहस्पति का चौथे सबसे बड़ा चंद्रमा यूरोपा है. यूरोपा के लिए नासा आज, 10 अक्‍टूबर 2024 को मिशन लॉन्‍च करने जा रहा है. इस मिशन का नाम यूरोपा क्लिपर है. अंतरिक्ष यान फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स फाल्कन हेवी रॉकेट से अपनी यात्रा प्रारंभ करेगा. इस मिशन का उद्देश्‍य यूरोपा पर मौजूद अंडरग्राउंड महासागर में जीवन का पता लगाना है. बता दें कि सन 1610 में गैलीलियो गैलीली ने यूरोपा की खोज की थी. वैज्ञानिकों को पता चला है कि इसके मोटे बर्फ के चादर के नीचे विशाल महासागर है.

2030 तक यूरोपा तक  पहुंचेगा

यूरोपा क्लिपर उड़ान भरने के बाद, पहले यह मंगल ग्रह की तरफ जाएगा. 27 फरवरी 2025 को गुरुत्वाकर्षण की मदद से अपनी स्पीड को बढ़ाएगा और पृथ्वी की ओर आएगा. दिसंबर 2026 में एक बार फिर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की मदद से यह स्पीड बढ़ाते हुए बृहस्पति की ओर लॉन्च किया जाएगा. वैज्ञानिकों ने जर्नल ऑफ गाइडेंस, कंट्रोल एंड डायनेमिक्स में प्रकाशित एक पेपर में बताया कि यूरोपा क्लिपर 11 अप्रैल 2030 को यूरोपा तक पहुंचेगा.

ऑबिट में अडजस्‍ट होने में लगेगा 1 साल का समय

बृहस्पति एक ठोस ग्रह न होकर गैसीय ग्रह है. यह बृहस्पति की एक लंबी लूपिंग कक्षा में प्रवेश करेगा. कोलोराडो बोल्डर यूनिवसिर्टी में वायुमंडलीय और अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला के अनुसार, इसे अपनी कक्षा को अडजस्ट करने में एक साल का समय लगेगा. यूरोपा के करीब से यह 50 से अधिक बार गुजरेगा. फ्लाईबाई के माध्‍यम से वैज्ञानिकों को यूरोपा की बर्फ, समुद्र की संभावित गहराई और रहने की क्षमता का विश्लेषण करने का मौका मिलेगा.

बृहस्पति का लगाएगा चक्कर

नासा का यह मिशन यूरोपा के लिए लॉन्च किया गया है. लेकिन अंतरिक्ष यान यूरोपा का चक्कर लगाने के वजाय बृहस्पति का चक्‍कर लगाएगा. रेडिएशन से नष्ट होने से बचाने के लिए यह जरूरी है. नासा ने कहा कि बृहस्पति के कई चंद्रमाओं में से यूरोपा बृहस्पति के मैग्नेटोस्फीयर में बहुत अंदर तक है. यह चार्ज्ड कणों से भरा एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र है. इसमें इतनी शक्ति है कि लंबे समय तक यहां रहने पर यह अंतरिक्ष यान के इलेक्ट्रॉनिक को जला सकते हैं. यूरोपा क्लिपर को बनाने में 5 बिलियन डॉलर की लागत आई है. ऑर्बिटल वैज्ञानिक इसे मार्स-अर्थ ग्रेविटी असिस्ट (MEGA) ट्रेजेक्टरी कहते हैं.

क्या यूरोपा में रहते हैं एलियंस

दरअसल, यूरोपा में बर्फ की सतह हिलती दिखाई दी हैं. नासा का अनुमान के अनुसार, इन सतहों के नीचे महासागर हो सकता है. अगर ऐसा है तो यहां या तो जीवन भी है या जीवन की संभावनाएं. नासा के वैज्ञानिक इस मिशन के जरिए ये जवाब तलाशने की कोशिश में हैं कि क्या यूरोपा में बर्फ के नीचे एलियंस है. लिने क्विक हेंडरसन कहती हैं कि इस मिशन से हम ये साबित करेंगे कि यूरोपा में वे तत्व हैं जो वहां जीवन को संभव बना सकते हैं.

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