पूर्वी काठमांडू में हटाया गया कर्फ्यू, 105 राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Nepal clash: नेपाल में प्राधिकारियों ने काठमांडू के पूर्वी हिस्से में लगाए गए कर्फ्यू को तनाव के कम होने के बाद शनिवार को समाप्‍त कर दिया है. दरअसल, यह कर्फ्यू सुरक्षाकर्मियों और राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच हुई हिंसक झड़पों के बाद लगाया गया था. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच पथराव भी किए गए थें.

सुरक्षाकर्मियों और राजशाही समर्थक प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में एक राजनीतिक पार्टी के कार्यालय पर हमला कर दिया था, कई वाहनों में आग लगा दी थी तथा राजधानी के तिनकुने क्षेत्र में दुकानों में लूटपाट की. इतना ही नहीं, इस दौरान एक टीवी कैमरामैन समेत दो लोगों की मौत हो गई. ऐसे में स्थिति‍ को पर काबू पाने के लिए सेना को बुलाया गया और क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया गया.

हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी

दरअसल, प्रदर्शनकारी राजशाही की बहाली और हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे थे. इस दौरान विरोध प्रदर्शन के संयोजक दुर्गा प्रसाई के सुरक्षा बैरिकेड तोड़कर बुलेटप्रूफ वाहन पर सवार होकर बानेश्वर की ओर बढ़ने लगे, जिसके बाद प्रदर्शन हिंसक हो गया.

105 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

वहीं, पुलिस ने हिंसक प्रदर्शन के दौरान मकानों को जलाने और वाहनों में तोड़फोड़ करने के आरोप में 105 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है, जिसमें राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के महासचिव धवल शमशेर राणा और पार्टी के केंद्रीय सदस्य रवींद्र मिश्रा शामिल हैं. काठमांडू जिला पुलिस रेंज के पुलिस अधीक्षक अपिल बोहरा ने बताया कि हिंसक प्रदर्शन के पीछे मुख्य व्यक्ति प्रसाई अब भी फरार है.

कई इमारतों में लगा दी गई आग

उन्‍होंने बताया कि शुक्रवार को हुए हिंसक प्रदर्शन में 53 पुलिसकर्मी, सशस्त्र पुलिस बल के 22 जवान और 35 प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं. हिंसक प्रदर्शनों के दौरान 14 इमारतों में आग लगा दी गई और नौ इमारतों में तोड़फोड़ की गई. इसके अलावा नौ सरकारी वाहनों को आग लगा दी गई और छह निजी वाहनों में तोड़फोड़ की गई.

क्‍या है मामला?

बता दें कि नेपाल के राजनीतिक दलों ने साल 2008 में संसद की घोषणा के जरिए 240 साल पुरानी राजशाही को समाप्त कर तत्कालीन हिंदू राष्ट्र को एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य में बदल दिया था और तभी से राजशाही समर्थक तब से राजशाही की बहाली की मांग कर रहे हैं.

हालांकि इससे पहले भी नौ मार्च को राजशाही समर्थक कार्यकर्ताओं ने पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में उस समय एक रैली की थी जब वह देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक स्थलों का दौरा करने के बाद पोखरा से त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे थे.

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