नेपाल का चौंकाने वाला फैसला, भारत सहित 11 देशों से अपने राजदूतों को बुलाया वापस

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Nepal: नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने एक चौंकाने वाला फैसला लिया है. भारत और अमेरिका समेत 11 देशों से अपने राजदूतों को वापस बुलाया है. नेपाल के इस फैसले से हर कोई स्‍तब्‍ध है. इन राजदूतों की नियुक्ति नेपाली कांग्रेस के कोटे के तहत की गई थी. यह फैसला तब लिया गया है जब तीन माह पहले प्रधानमंत्री पुष्‍प कमल दहल प्रचंड ने नेपाली कांग्रेस पार्टी से गठबंधन तोड़ दिया और केपी शर्मा ओली से हाथ मिला लिया. नेपाली विदेश मंत्री का विरोध  दरकिनार कर गुरुवार को यह कदम उठाया गया है.

फैसले का हुआ विरोध 

समाचारपत्र ‘द काठमांठू पोस्ट’ की एक खबर के अनुसार, नेपाल ने भारत में सेवारत अपने राजदूत शंकर शर्मा को वापस बुला लिया है. उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री नारायण काजी के विरोध के बावजूद यह कदम उठाया गया. खबर के मुताबिक, विदेश मंत्री नेपाली कांग्रेस और अन्य दलों के कोटे से नियुक्त राजदूतों को वापस बुलाने के प्रस्ताव का कथित तौर पर कड़ी आपत्ति जता रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री दाहाल और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष ओली ने राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला किया. विदेश मंत्रालय के अनेक अधिकारियों के हवाले से कहा गया कि इस तरह के कदम से बहुत अराजनयिक संदेश जाता है.

वापसी के लिए इतना समय

नेपाल के एक मंत्री ने अखबार को बताया कि इन राजदूतों को लौटने के लिए तीन से चार सप्ताह का समय दिया गया है. बताया गया कि विदेश मंत्री विरोध के बावजूद प्रधानमंत्री दहल और सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष ओली ने मनमनाने तरीके से राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला किया. वापस बुलाए गए राजदूतों में शंकर शर्मा (भारत), श्रीधर खत्री (अमेरिका), ज्ञान चंद्र आचार्य (यूनाइटेड किंगडम) और ज्योति पयाकुरेल भंडारी (दक्षिण कोरिया) नेपाली कांग्रेस के कोटा के तहत नियुक्‍त किए गए थे.

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