Nepal PM KP Sharma Oli: नेपाल में हाल के दिनों में ही सत्ता परिर्वतन देखने को मिला. केपी शर्मा ओली चौथी बार नेपाल के पीएम बने. पीएम का पदभार संभालने के बाद केपी शर्मा ओली के सामने सबसे बड़ी चुनौती है विश्वासमत हासिल करना. इसके लिए उन्होंने 21 जुलाई का दिन चुना है. ओली को चीन का समर्थक नेता माना जाता है. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल- यूनीफाइड मार्क्सिस्ट लेनिनिस्ट के मुख्य सचेतक महेश बरतौला का कहना है कि प्रधानमंत्री ओली रविवार को ससंद में विश्वासमत का सामना करेंगे.
ओली की पार्टी ने पुष्पकमल दहल की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. इसके बाद ‘प्रचंड’ विश्वासमत हासिल करने से चूक गए और संसद में बहुमत साबित नहीं कर पाए. इसके बाद ओली ने सरकार बनाने का दावा पेश किया और सोमवार को पीएम पद की शपथ ली. पीएम पद की शपथ लेने के बाद उनको 30 दिनों के भीतर उनको बहुमत साबित करना था. अब खबर है कि वह रविवार यानी 21 जुलाई को विश्वासमत की अग्निपरीक्षा से गुजरेंगे. माना जा रहा है कि पीएम ओली आसानी से बहुमत हासिल कर लेंगे. 275 सदस्यीय संसद में बहुमत के लिए 138 सीटें आवश्यक है.
भारत विरोधी नीतियों से कैसे होगा नेपाल का विकास?
बुधवार को केपी शर्मा ओली की पार्टी के वरिष्ठ नेता राजन भट्टाराई ने कहा कि सीपीएन-यूमीएल इस बात को नहीं मानती कि भारत विरोधी नीतियों के साथ नेपाल प्रगति कर पाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि ओली का मानना है कि नेपाल-भारत के रिश्तों को नई ऊंचाई दी जाए. नेपाल का मानना है कि भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने से अधिक विदेशी निवेश को नेपाल की ओर आकर्षित कर सकते हैं. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि नेपाल अपनी धरती पर कभी भी भारत विरोधी बातों को नहीं सोच सकता है.
नेपाली संसद में किसके पास कितनी सीट?
गौरतलब है कि नेपाल में साल 2022 में आम चुनाव हुए थे. इन चुनावों में किसी को बहुमत हासिल नहीं हुआ था. इस चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. देउबा की पार्टी को 89 सीटें मिलीं. वहीं, केपी शर्मा ओली की पार्टी को कुल 78 सीटें मिली थी. इसी के साथ प्रचंड की पार्टी को 32 सीटों पर संतोष करना पड़ा था. सबसे कम सीटें पाकर भी प्रचंड 25 दिसंबर 2022 को नेपाल के प्रधानमंत्री बने. प्रचंड ने देउबा की पार्टी के साथ गठबंधन किया था और सरकार बनाई. हालांकि, यह सरकार ज्यादा दिन नहीं चली. बाद में ओली के साथ मिलकर उन्होंने सरकार बनाई वह भी गिर गई.
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