Nepal Vs China BRI: चीन यात्रा पर पहुंचे नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को तगड़ा झटका दिया है. दरअसल यात्रा के दौरान शी जिनपिंग के ड्रीम प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड समझौते पर हस्ताक्षर होना था. लेकिन नेपाल ने स्पष्ट कर दिया है कि वह बेल्ट एंड रोड समझौते पर अपनी शर्तों के हिसाब से हस्ताक्षर करेगा. नेपाल के इस सख्त रुख के बाद चीन बौखला गया और बीआरआई पर समझौते को अंतिम समय में टाल दिया गया.
आखिरी वक्त में चीन ने किया विरोध
नेपाली अधिकारियों ने बताया कि इस समझौते के शर्तों पर पर लगभग सहमति बन गई थी लेकिन आखिरी वक्त में चीन ने इसका विरोध कर दिया. साथ ही इससे भड़के चीन ने पोखरा एयरपोर्ट के कर्ज को माफ करने की नेपाल की मांग पर फैसले को टाल दिया.
नेपाल और चीन ने कहा कि जल्द ही बीआरआई और सीमापार कनेक्टिविटी के समझौते पर साइन किया जाएगा. काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों में से किसी ने यह नहीं बताया कि अब कब इस बीआरआई समझौते पर हस्ताक्षर होगा. हालांकि नेपाली अधिकारियों ने दावा किया है कि ओली का दौरा अभी चल रहा है और बीआरआई पर समझौता हो सकता है.
चीनी चाल में नहीं फंसा नेपाल
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को दोनों पक्ष BRI पर समझौता करने वाले थे. इसमें केवल 9 अलग-अलग प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर किया जाना था. अब संदेह उत्पन्न हो गया है कि इस यात्रा के दौरान बीआरआई पर समझौता होगा या नहीं. वह भी तब जब पीएम ओली की यात्रा से पहले बीआरआई को लेकर काफी बहस छिड़ी थी. चीन के पक्ष ने समझौते से ‘ग्रांट’ शब्द को हटा दिया था और कहा कि इसकी जगह पर BRI के तहत ‘इन्वेस्टमेंट’ शब्द लिखा जाए.
चीन के इस कदम के बाद नेपाली अधिकारियों ने इसकी समीक्षा की तो उन्होंने ‘एड एंड टेक्निकल असिस्टेंस’ शब्द जोड़ने के लिए कहा. इस ‘एड’ शब्द को लेकर भी विवाद हो गया, क्योंकि ओली सरकार में शामिल नेपाली कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से कहा था कि ग्रांट लिखना होगा. असल में कई देश लाइन ऑफ क्रेडिट के तहत दिए जाने वाले लोन को भी ‘एड’ लिखते हैं. इसकी जानकारी पीएम ओली को दी गई.
नेपाल को चीन ने दिया झटका
नेपाली पक्ष ने बार-बार चीन सरकार से गुहार लगाई कि पोखरा एयरपोर्ट के लोन को ग्रांट में बदल दिया जाए लेकिन चीन ऐसा नहीं किया. नेपाल को इसकी उम्मीद थी कि दौरे पर उसे यह छूट मिल जाएगी. लेकिन अब केपी ओली को खाली हाथ लौटना पड़ेगा.
एक नेपाली अधिकारी ने कहा कि चीन नहीं चाहता है कि नेपाल के कर्ज को माफ किया जाए. नेपाल चाहता है कि चीन उसे कर्ज का जाल कहे जाने वाले BRI में ग्रांट दे न कि लोन. वर्तमान में दुनिया के कई देश बीआरआई के कर्ज के जाल में बुरी तरह से फंसे हुए हैं. इसमें मालदीव, पाकिस्तान और श्रीलंका का भी नाम आता है. भारत खुलकर बीआरआई का विरोध करता रहा है.
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