अब न्यायधीशों को नहीं हटा सकेगी बांग्लादेश की संसद, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

Raginee Rai
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Bangladesh Supreme Court: बांग्‍लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने उच्‍चतम न्‍यायालय के न्‍यायाधीशें को हटाने का अधिकार देश की संसद ने छीन लिया है. अब बांग्‍लादेश में सर्वोच्‍च न्यायिक परिषद ही न्यायाधीशों को हटाने और उन पर न्यायिक कदाचार के आरोपों की जांच करेगी.

यहां की सुप्रीम कोर्ट ने शेख हसीना सरकार के दौरान किए गए 16वें संविधान संशोधन को रद्द कर दिया है. इसके तहत न्यायाधीशों को हटाने का अधिकार संसद को दिया गया था. उस दौरान भी सु्प्रीम कोर्ट ने इस अधिकार को असंवेधानिक घोषित किया था. अब यह अधिकार सुप्रीम कोर्ट ने संसद से वापस ले लिया है.

सर्वोच्‍च न्‍यायिक परिषद बहाल

सर्वोच्‍च न्यायालय के वकील रूहुल कुद्दुस ने सु्प्रीम कोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद संवाददाताओं को बताया कियह आदेश प्रधान न्यायाधीश सैयद रेफात अहमद के नेतृत्व वाली उच्चतम न्यायालय की अपीलीय प्रभाग की 6 सदस्यीय पीठ द्वारा पारित किया गया. सुनवाई में मौजूद रूहूल कुद्दुस ने कहा कि इस फैसले ने मूल संवैधानिक प्रावधानों को मजबूत किया है.

इस फैसले का मतलब पूर्व पीएम शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान पारित 16वें संवैधानिक संशोधन को रद्द करना भी है, जिसके तहत न्यायाधीशों पर महाभियोग चलाने का कार्य सर्वोच्‍च न्‍यायालय के न्यायाधीशों वाली सर्वोच्च न्यायिक परिषद के बजाय संसद को दे दिया गया था.

क्या था बांग्लादेश का 16 वां संशोधन

बांग्लादेश का 16वां संशोधन जनवरी 2014 में पारित किया गया, जिसने सर्वोच्च न्यायिक परिषद को न्यायाधीशों को अक्षमता या कदाचार के लिए हटाने के उसके अधिकार से वंचित कर दिया. हालांकि मई 2016 में उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने 16वें संशोधन को असंवैधानिक घोषित कर दिया, जिसे सरकार ने जनवरी 2017 में चुनौती दी.

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार सिन्हा के नेतृत्व वाली 7 न्यायाधीशों की अपीलीय खंडपीठ ने जुलाई 2017 में उच्च न्यायालय के उस फ़ैसले को बरकरार रखा, जिसमें 16वें संविधान संशोधन को गैरकानूनी  घोषित किया गया था. फैसले के बाद, तत्कालीन सरकार ने सु्प्रीम कोर्ट से फैसले की समीक्षा करने के लिए एक याचिका दायर की, जिसका निस्तारण सुप्रीम कोर्ट के रविवार के फैसले के साथ हुआ.

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