Mount Everest को फतह करने के लिए अब अब देने होंगे ज्यादा पैसे, नेपाल सरकार ने बढ़ाया परमिट शुल्क

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
माउंट एवरेस्ट या माउंट कोमोलांगमा पर चढ़ाई के परमिट शुल्क को नेपाल सरकार ने बढ़ा दिया है. इसकी जानकारी बुधवार को एक अधिकारी ने दी. विदेशियों के लिए चढ़ाई शुल्क 11,000 डॉलर से बढ़ाकर 15,000 डॉलर कर दिया गया, जो 36 प्रतिशत की वृद्धि है.
संस्कृति, पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक अफसर माधव अधिकारी ने कहा, “नई दर 1 सितंबर, 2025 से प्रभावी होगी.” उन्होंने सिन्हुआ को बताया, “इस वसंत में माउंट कोमोलंगमा पर चढ़ने की इच्छा रखने वालों को बढ़ी हुई फीस नहीं देनी होगी.”

पतझड़ के मौसम में 7,500 डॉलर का करना होगा भुगतान 

इस बीच, नेपाल और चीन के बीच स्थित दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने की योजना बनाने वालों को पतझड़ के मौसम में 5,500 डॉलर की जगह 7,500 डॉलर का भुगतान करना होगा. सर्दियों और मानसून के मौसम के लिए शुल्क 2,750 डॉलर से बढ़कर 3,750 डॉलर हो गया है. नेपाली पर्वतारोहियों के लिए, शुल्क 75,000 नेपाली रुपये (लगभग 545 डॉलर) से दोगुना होकर 150,000 रुपये (लगभग 1,090 डॉलर) हो गया है.

आखिरी बार कब हुआ था शुल्क में संशोधन? 

नेपाल ने आखिरी बार 1 जनवरी 2015 को पर्वतारोहण परमिट शुल्क में संशोधन किया था. माउंट एवरेस्ट, जिसे स्थानीय रूप से सागरमाथा या कोमोलंगमा के नाम से जाना जाता है, समुद्र तल से ऊपर पृथ्वी का सबसे ऊंचा पर्वत है. इसकी ऊंचाई (बर्फ की ऊंचाई) 8,848.86 मीटर है, जिसे हाल ही में चीनी और नेपाली अधिकारियों द्वारा 2020 में स्थापित किया गया था.

माउंट एवरेस्ट कई पर्वतारोहियों को आकर्षित करता है, जिनमें अत्यधिक अनुभवी पर्वतारोही भी शामिल हैं. इसके दो मुख्य चढ़ाई मार्ग हैं, एक नेपाल में दक्षिण-पूर्व से शिखर तक पहुंचता है (जिसे ‘स्टैंडर्ड रूट’ के रूप में जाना जाता है) और दूसरा तिब्बत में उत्तर से. स्टैंडर्ड रूट पर चढ़ाई की कोई बड़ी तकनीकी चुनौती नहीं है हालांकि एवरेस्ट में ऊंचाई से होने वाली बीमारी, मौसम और हवा के साथ-साथ हिमस्खलन और खुंबू हिमपात जैसे खतरे भी मौजूद है.
–आईएएनएस

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