OIC Meet: हानिया का बदला लेने ईरान के साथ जंग में आ सकते हैं 57 मुस्लिम देश, मुश्किल में इजरायल और अमेरिका!

Shubham Tiwari
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Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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OIC Meet: हमास के पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हानिया की मौत के बाद ईरान के गुस्से वाले तेवर थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. ईरान ने कसम खा ली है कि वो इजराइल से बदला लेगा. हानिया की हत्या को एक हफ्ते से ज्यादा का समय बीत चुका है और ईरान अपने दम पर इजराइल पर हमला नहीं कर पाया है, लेकिन उसने साफ कर दिया है कि वो बदला जरूर लेगा.

बता दें कि मुस्लिम देशों के सबसे बड़े संगठन OIC (Organisation of Islamic Cooperation) की आज एक विशेष बैठक होने जा रही है. यह बैठक हमास चीफ इस्माइल हानिया की हत्या को लेकर की जा रही है. इस बैठक में संगठन देश के विदेश मंत्री शामिल होंगे. इसमें इजराइल से बदला लेने पर मुहर लग सकती है.

इजराइल की बढ़ सकती है मुश्किलें

जानकारी के मुताबिक, यह बैठक आज सऊदी अरब के जेद्दा में होने जा रही है. इस बैठक को लेकर ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि ईरान इजराइल के खिलाफ लड़ाई में ग्रुप के देशों का साथ मांग सकता है. अगर ऐसा हुआ तो ये इजराइल और अमेरिका के लिए बुरी खबर होगी. क्योंकि ओआईसी 57 देशों का संगठन है, जिसमें ऑब्जर्वर के तौर पर रूस जैसे ताकतवर मुल्क भी हैं.

अमेरिका की खास नजर

इस बैठक पर अमेरिका की भी खास नजर है, क्योंकि वे सुन्नी देशों के सहारे कूटनीतिक तरीके से इस मामले को निपटाना चाहता है. यदि 57 देशों के संगठन में अगर इजराइल पर हमला करने पर सहमती बनती है तो ईरान प्रॉक्सी बनाम इजराइल जंग, अरब युद्ध में बदल सकता है.

अरब देशों पर दबाव बना रहा ईरान

ज्ञात हो कि ईरान ने इजराइल के खिलाफ लड़ाई में OIC देशों का साथ मांगा है. इसी को लेकर सऊदी अरब के जद्दा में आज यानी बुधवार को OIC की बैठक होने जा रही है. ये बैठक हानिया की हत्या और इस्लामी गणराज्य ईरान की क्षेत्रीय संप्रभुता के उल्लंघन पर केंद्रित रहेगी. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक में ईरान इजराइल के खिलाफ प्रतिबंध लगाने और जंग में साथ देने के लिए अरब देशों पर दबाव बना सकता है.

कितना ताकतवर है OIC?

बता दें OIC 57 मुस्लिम देशों को संगठन है. ये संयुक्त राष्ट्र (UN) के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा संगठन है, जिसमें ताकतवर मुस्लिम देश सऊदी अरब, UAE का वर्चस्व है. इस संगठन में रूस जैसे कुछ गैर-इस्लामिक देश भी हैं, जो ऑब्जर्वर के तौर पर हैं. इस संगठन की स्थापना 25 सितंबर 1959 को अंतर्राष्ट्रीय शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने और इस्लामिक वर्ल्ड के हितों की रक्षा करने के मकसद से की गई थी.

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