Health News: कोरोना काल के दौरान बचाव के लिए तमाम नुस्खे बताए गए थे. इस दौरान दुनिया भर में सफाई को लेकर जागरुकता अभियान चलाया गया था, जिसमें सेलिब्रिटी भी शामिल हुए थे. उस समय सबसे ज्यादा इस बात पर जोर दिया गया था कि सभी अपने हाथों को बार बार धूलें. अगर आप इन आदतों को अब भूल गए हैं तो शायद आपने गलत किया. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हाल ही में लैंसट जर्नल की एक रिसर्च सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि इन सभी रूटीन को वापस अपने दिनचर्या में शामिल करें. लैंसट का कहना है हाथ धोने की आदत से लाखों जिंदगी बचाई जा सकती हैं.
रिपोर्ट में क्या है खास?
‘द लैंसेट’ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार संक्रमण को रोकने वाले उपायों में सबसे खास हथियार हाथों को नियमित धोना ही है. एक अनुमान के अनुसार प्रत्येक वर्ष एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस से जुड़ी लगभग 7.5 लाख मौतों को रोका जा सकता है. रिसर्च करने वालों का कहना है कि हाथ की नियमित सफाई तो सबसे जरूरी है. इसी के साथ पीने के पानी की शुद्धता और बच्चों के लिए नई वैक्सिन के इजाफा से कई लाख मौतों को रोका जा सकता है.
क्या होता है एंटीमाइक्रोबिल रेजिस्टेंस?
सबसे पहले आपको बताते हैं कि एंटीमाइक्रोबिल रेजिस्टेंस क्या होता है. चूकी इस समय हम किसी भी बीमारी से निपटने के लिए एंटीबायोटिक्स का प्रयोग जरूर करते हैं, एंटीबायोटिक्स को हर मर्ज की दवा के तौर पर भी देखा जाता है. ऐसे में हर शख्स इस एंटीबायोटिक्स का इतना प्रयोग कर चुका है कि आम खांसी बुखार मरीजों पर अब ये दवाएं असर ही नहीं कर रही है. इसी कंडीशन को कहते हैं एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल, वैश्विक स्तर पर हर आठ में से एक मौत बैक्टीरिया संक्रमण के कारण होती है. कुल मिलाकर लगभग 77 लाख मौतें. जिनमें से 50 लाख बैक्टीरिया से जुड़ी होती हैं जो एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति बेअसर हो गए हैं. कोविड-19 महामारी के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं के अनुचित इस्तेमाल से एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस का खतरा बढ़ रहा है. ये मॉडर्न मेडिसिन की रीढ़ पर सीधे वार कर रहा है.
असरदार दवाओं तक पहुंचना जरुरी
दुनिया भर में लाखों मरीज ऐसे हैं, जिनके पास तक असरदार दवाएं नहीं पहुंच पाती. इससे उनकी मौत हो जाती है. इसलिए दुनिया भर में मरीजों के लिए असरदार एंटीबायोटिक दवाओं तक पहुंच जरूरी है. कई बार सही और असरदार एंटीबायोटिक्स लोगों तक नहीं पहुंच पाती इससे भारी कीमत लोगों को चुकानी पड़ती है. अगर फौरन इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया तो बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के स्वास्थ्य के मद्देनजर जो संयुक्त राष्ट्र का टार्गेट है, उसे पूरा करने में बहुत पीछे हो जाएंगे.
स्वच्छता बेहद जरुरी
इस रिपोर्ट में कुल मिलाकर सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा है कि किसी भी रोग से बचाव के लिए स्वच्छता काफी जरुरी है. अगर सभी देश पानी और स्वच्छता और वैक्सीनेशन में सुधार पर फोकस करेंगें तो 2030 तक एएमआर से जुड़ी मौतों की संख्या को 10 प्रतिशत तक कम करना काफी हद तक संभव होगा.
हाथ धोने से टल सकती हैं लाखों मौतें
इस रिपोर्ट में कहा गया कि अगर नियमित तौर पर हाथों की सफाई की जाए और हॉस्पिटल में इस्तेमाल होने वाले उपकर्णों का स्टेरलाइजेशन का विशेष ध्यान रखा जाए तो प्रत्येक साल 3.37 लाख लोगों को मौत के मुंह से वापस लाया जा सकता है.
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