Pakistan: पाकिस्तान के पूर्व पीएम और पीटीआई पार्टी के संस्थापक इमरान खान को सिफर केस में बड़ी राहत मिली है. इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव के कारण इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को बरी कर दिया है. पूर्व पीएम इमरान खान पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करने के दौरान सिफर की सामग्री का दुरुपयोग करने का आरोप था.
ट्रायल कोर्ट द्वारा घोषित सजा के खिलाफ याचिका दायर होने के बाद आईएचसी की दो सदस्यीय बेंच ने इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी को सोमवार को बरी कर दिया है. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का आचरण कुछ भी था लेकिन कानून के अनुसार ऐसे अवसरों पर जब कानूनी टीम उपलब्ध थी तो इमरान खान और कुरेशी दोनों के लिए राज्य परिषद की नियुक्ति, या निर्णय में रूढ़िवादी टिप्पणियां की गई, जिनका केस से कोई लेना देना नहीं था.
राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा था मामला
दरअसल, इमरान खान पर वाशिंगटन में पाकिस्तान के दूतावास द्वारा भेजे गए गुप्त राजनयिक केबल (सिफर) को लीक करने के केस में आधिकारिक गोपनीय अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था. जिसके बाद पाकिस्तान की एक विशेष कोर्ट ने इमरान खान को दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी. हालांकि इमरान खान ने सत्ता से हटाए जाने के बाद कहा था कि इसके पीछे अमेरिका का हाथ है.
जानें क्या है सिफर केस
सिफर या डिप्लोमैटिक केबल वह संवाद होता है जो विदेशी मिशन की ओर से अपने देश को भेजा जाता है. इसमें सभी तरह के चर्चा की जानकारी होती है, जिसको डिकोड कर उसको पढ़ा जाता है. सिफर का अर्थ है सीक्रेट कीवर्ड में लिखा गया संदेश. सायफर, एक गुप्त और प्रतिबंधित संदेश होता है जो डिप्लोमेटिक कम्युनिकेशन का भाग होता है. दो देशों के बीच होने वाली तमाम बातचीत को गुप्त रखा जाता है. इसके लिए बातचीत को कोड के रूप में लिखा जाता है जिसे डिकोड करना आसान नहीं होता है. इसकी मूल प्रति फॉरेन दफ्तर में रखी जाती है. इसकी कॉपी करना भी गैर-कानूनी है. पाकिस्तान के पूर्व पीएम और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) इमरान खान इससे जुड़े केस में फंसे थे.
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