Pakistan Imran Khan: पूर्व प्रधानमंत्री व पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के संस्थापक इमरान खान की ओर सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को लिखे गए पत्र को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. वहीं, देश के प्रधानमंत्री के सार्वजनिक और राजनीतिक मामलों पर सलाहकार राणा सनाउल्लाह ने इस पत्र की कड़ी आलोचना की है.
उनका कहना है कि इमरान खान का मकसद सेना और जनता के बीच विभाजन पैदा करना है. सनाउल्लाह ने न्यायपालिका के मुद्दे पर भी पीटीआई की आलोचना की है, खास तौर से न्यायाधीशों की नियुक्तियों को लेकर. उन्होंने सवाल किया है कि क्या न्यायाधीशों का स्थानांतरण असंवैधानिक था इसके साथ ही उन्होंने PTI द्वारा उठाए गए सवालों पर चिंता जताई.
न्यायाधीशों के तबादले पर विवाद
सनाउल्लाह ने कहा कि PTI ने न्यायमूर्ति बाबर सत्तार और न्यायमूर्ति तारिक जहांगीरी की नियुक्तियों का विरोध किया था. दरअसल हाल ही में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में तीन न्यायाधीशों के तबादले ने भी कानूनी बिरादरी में बहस छेड़ दी है. पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश याह्या अफरीदी ने इन तबादलों को संवैधानिक और सकारात्मक कदम बताया, लेकिन उनके इस फैसले की भी काफी आलोचना हुई है.
इन न्यायाधीशों के हुए तबादले
बता दें कि सिंध, बलूचिस्तान, और लाहौर से न्यायाधीशों को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया, जिनमें न्यायमूर्ति सरफराज डोगर, न्यायमूर्ति खादिम हुसैन सूमरो, और न्यायमूर्ति मुहम्मद आसिफ शामिल हैं.
पत्र की वैधता पर सनाउल्लाह ने उठाए सवाल
वहीं, पीटीआई के संस्थापक इमरान खान ने जेल से सेना प्रमुख को छह सूत्रीय पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने चुनावी धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग, और न्यायिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों पर सवाल उठाए. साथ ही पीटीआई के कार्यकर्ताओं पर आतंकवाद के आरोप और बल प्रयोग की आलोचना की और सेना प्रमुख से नीतियों में बदलाव की मांग की.
इमरान खान के इस पत्र की वैधता पर प्रधानमंत्री के सलाहकार राणा सनाउल्लाह ने सवाल उठाते हुए कहा, “ये पत्र कहाँ से आ रहे हैं? यदि इमरान खान राजनीतिक संघर्ष में शामिल होना चाहते हैं, तो उन्हें संसद में ऐसा करना चाहिए.”
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