आतंकियों और सैनिकों को भारतीय क्षेत्र में भेजने के फिराक में पाकिस्तान, सुरक्षा एजेंसियों ने सुरंग वाली साजिश का किया पर्दाफाश

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Pakistan-India Relation: इन दिनों भारत और पाकिस्‍तान के बीच तनाव चरम पर है. इसी बीच सीमा पर पाकिस्तान की एक बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है. खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, पाकिस्‍तान बॉर्डर के उस पार सुरंग वाली साजिश को अंजाम देने के फिराक में है. जिसके लिए उसने सुरंग भी खोद ली है. एजेंसियों का मानना है कि पाकिस्‍तान ने भारतीय क्षेत्र में आतंकवादियों की घुसपैठ कराने और दोनों देशों के बीच सशस्त्र संघर्ष के दौरान संभावित रूप से सैनिकों को दूसरी तरफ भेजने के लिए नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार गहरी सुरंगें खोदी हैं.

ऐसे में बीएसएफ और सेना के जवानों को इस गहरी भूमिगत सुरंगों की जांच का निर्देश दिया गया है. कि कहीं पाकिस्तान ने तो घुसपैठ को आसान बनाने या किसी भी सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में सैनिकों को भेजने के लिए खाइयों के नीचे बहुत गहरी सुरंगें खोदने में कामयाबी हासिल की है.

500 मीटर लंबी और 30 मीटर गहरी सुरंग

दरअसल, 2020 में सुरक्षा बलों द्वारा खोजी गई सुरंगों में से एक 500 मीटर लंबी और 30 मीटर गहरी थी. इस बीच अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान ने आतंकवादी गतिविधियों को छिपाने के लिए सीमा के पास के इलाकों में ऊंची-ऊंची हाथी घास उगाने की अनुमति दी है. वहीं, एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सुरंग पाकिस्तानी क्षेत्र में लगभग 200 मीटर तक फैली हुई थी और इसमें ऑक्सीजन पाइप लगा हुआ था, जिससे घुसपैठियों को सीमा पार करने के लिए इंतजार करते समय सांस लेने में मदद मिल सके.

पुलवामा हमले के दौरान भी सुरंगों का किया गया इस्तेमाल

बता दें कि जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) प्रमुख मौलाना मसूद अजहर का भतीजा और 2019 के पुलवामा हमले के पीछे मुख्य लोगों में से एक उमर फारूक अप्रैल 2018 में सांबा सेक्टर में एक सुरंग के जरिए भारत में दाखिल हुआ था. फिलहाल, सीमा पर कई एंटी-टनल तकनीक की तैनात की गई है और पूरे सीमा पर भौतिक निरीक्षण किया जा रहा है. जिससे कि यह पता चल सके कि पाकिस्तान ने भारतीय सीमा पर बहुत गहरी सुरंगें खोदी हैं या नहीं, जो पता नहीं चल पाई हैं.

सुरक्षाबलों ने चलाया अभियान

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल जनवरी के महीने में बीएसएफ ने बड़े पैमाने पर, महीनों तक चलने वाला अभियान शुरू किया था,  जिससे यह पता लगाया जा सके कि आतंकवादियों द्वारा भारतीय क्षेत्र में घुसने के लिए सुरंगों का इस्तेमाल तो नहीं किया जा रहा है. यह काम खुफिया सूचनाओं के बीच किया गया था. इस दौरान घुसपैठ की कोशिशों में वृद्धि की भी चेतावनी दी गई थी.

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