Pakistan Milk Price: अरे बाप रे! पाकिस्तान में इतना महंगा हो गया दूध, कीमत जान नहीं होगा यकीन

Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Pakistan Milk Price: भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है. आलम यह है कि लोग दाने दाने के लिए मोहताज हैं. रोजमर्रा की जरुरतों को पूरा करने के लिए लोगों को भर-भरकर खर्च करना पड़ रहा है. यहां खाने-पीने की वस्तुओं से लेकर डीजल-पेट्रोल तक के भाव आसमान छू रहे हैं. यही नहीं यहां रोजाना काम आने वाली चीज दूध भी लोगों की पहुंच से दूर होती जा रही है. इन दिनों यहां दूध की कीमत में बेहिसाब बढ़ोत्तरी देखने को मिल रहा है.

दरअसल, पाकिस्तान में दूध उत्पादन की ऊंची लागत, मवेशियों की बढ़ती कीमतों और सरकारी लापरवाही की वजह से दूध की कीमतों में अचानक और बढ़ोतरी भी देखने को मिल रही है. कराची शहर में इन दिनों दूध 210 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है.

बता दें कि आर्थिक तंगी से गुजर रहे पाकिस्तान के कराची में शहर के कमिश्नर द्वारा डेयरी फार्मर्स एसोसिएशन की मांगों को मानते हुए दूध की कीमत में बढ़ोत्तरी की मंजूरी दी गई है. मजूंरी के बाद से दूध की कीमत 10 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गई हैं. एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, कराची में दुकानें अब दूध को पीकेआर 210 रुपये प्रति लीटर पर बेच रही हैं.

50 पीकेआर की बढ़ोतरी की आशंका

कराची के कमिश्नर के निर्देशों के अनुसार, दूध की कीमत में पीकेआर 10 प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है. लेकिन पहले दूध की कीमतों में पीकेआर 50 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की संभावना थी. वहीं, इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कराची में डेयरी फार्मर्स के प्रेसिडेंट मुबाशेर कादिर अब्बासी ने संकेत दिया है कि कराची के लोगों के लिए जल्द ही प्रति लीटर दूध में 50 पीकेआर की बढ़ोतरी की आशंका है.

दूध की दाम बढ़ने की प्रमुख वजह

कराची में डेयरी फार्मर्स के प्रेसिडेंट मुबाशेर कादिर अब्बासी के मुताबिक, दूध उत्पादन की ऊंची लागत, मवेशियों की बढ़ती कीमतों और सरकारी लापरवाही के चलते दूध की कीमतों में अचानक बढ़ोतरी देखी जा रही है. डेयरी फार्मर्स के प्रेसिडेंट मुबाशेर कादिर अब्बासी ने कराची के कमिश्नर को दूध की उत्पादन लागत के मुताबिक नई कीमतों के बारे में तुरंत एक नोटिफिकेशन जारी करने को कहा है. उन्होंने कहा कि यदि संबंधित अधिकारी 10 मई तक दूध की कीमतें बढ़ाने का एलान नहीं करते हैं, तो हितधारक मामले को अपने हाथों में लेंगे और आम सहमति के बाद कीमतें बढ़ा देंगे.

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