Pakistan: भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान पहले से ही बेरोजागरी और आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. वहीं अब पाकिस्तान की डिजिटल इकोनॉमी भी दम तोड़ते दिख रही है. बता दें भारत की तरह पाकिस्तान ने भी डिजिटल इकोनॉमी बनाने की मुहिमा शुरू की थी, जो अब विफल होते दिख रहा है. एक ओर जहां भारत की डिजिटल इकोनॉमी हर रोज नया रिकॉर्ड बना रहा है, दुनिया में इसकी तारीफ हो रही है, तो वहीं पाक इस राह पर फेल होते दिख रहा है.
पाकिस्तान सरकार द्वारा लागू किए जा रहे विवादास्पद फायरवॉल सिस्टम के चलते पाकिस्तान में इंटरनेट की धीमी और अनियमित सर्विसेज के कारण देश से विदेशी कारोबारियों का बड़े पैमाने पर पलायन हो सकता हैं. पाकिस्तान बिजनेस काउंसिल (पीबीसी) और पाकिस्तान सॉफ्टवेयर हाउसेज एसोसिएशन (पीएसएचए) ने यह चेतावनी दी है.
पाकिस्तान की बढ़ सकती है मुश्किलें
यह वॉर्निंग ऐसे वक्त में दी गई है, जब कुछ महीने पहले उबर, शेल, फाइजर, एली एली (अमेरिका), टेलीनॉर (नॉर्वे), लोट्टो केमिकल (दक्षिण कोरिया), सनोफी (फ्रांस) जैसी कुछ टॉप कंपनियों ने अपनी पूरी या आंशिक भागीदारी स्थानीय कंपनियों को बेच दी थी. इस कदम से विदेशी निवेश में भारी गिरावट का संकेत देखने को मिला और पाकिस्तान के निवेश माहौल, आर्थिक नीतियों और नियामक बाधाओं पर सवाल खड़े हुए.
फायरवॉल प्रणाली से इंटरनेट सर्विसेज बाधित
पाकिस्तान बिजनेस काउंसिल ने एक बयान में कहा कि कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां (एमएनसी) या तो पाकिस्तान से अपने ऑफिस स्थानांतरित करने की तैयारी कर रही हैं या ऐसा कर चुकी हैं, क्योंकि कथित तौर पर फायरवॉल प्रणाली लगाए जाने से देश भर में बड़े पैमाने पर इंटरनेट सेवाएं बाधित हो रहा है. फाइनेंशियल एक्सपर्ट सरवत अली ने कहा कि किसी भी देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए डिजिटल इकोनॉमी अनिवार्य है.
क्यों पाकिस्तान के सामने आई चुनौती
सरवत अली ने कहा कि पाकिस्तान पहले से ही बढ़ती बेरोजगारी और सुस्त वृद्धि के वजह से आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है. ऐसे में इन्वेस्टर्स और व्यवसायों का डिजिटल या आउटसोर्स व्यवसायों के भविष्य के बारे में असुरक्षित महसूस करना सही नहीं होगा. हाल ही के एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले दो साल में नौ बड़ी कंपनियों ने पाकिस्तान में अपनी संपत्तियां बेच दी हैं, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक जोर का झटका है.
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