Pakistan: कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान ने यू-टर्न ले लिया है. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के आदेश के बावजूद भी पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव की अपनी मौत के खिलाफ अपील के अधिकार को खारिज कर दिया है. पाकिस्तान ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अपीलीय अदालत ने जाधव में केवल भारत के काउंसलर का एक्सेज का आदेश दिया गया था, सजा के खिलाफ अपील करने का नहीं.
सजा के खिलाफ अपील का अधिकार नहीं
पाकिस्तान ने कहा कि कुलभूषण को अपनी सजा के खिलाफ अपील को कोई अधिकार नहीं है. यह दलील सुप्रीम कोर्ट में वहां की सरकार ने तब दिया, जिसमें एक सुनवाई के दौरान कहा गया था कि मौत की सजा पाए कुलभूषण जाधव को अपील का अधिकार दिया गया, लेकिन 9 मई 2023 की हिंसा मामले में कथित संलिप्तता के दोषी ठहराए गए पाकिस्तानी नागरिकों को इस फैसले के खिलाफ अपील के अधिकार से वंचित किया जा रहा है.
पाकिस्तान ने क्या कहा
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय के वकील ख्वाजा हारिस अहमद ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि हेग स्थित आईसीजे के फैसले में कुलभूषण जाधव तक केवल भारत के काउंसलर एक्सेस के अधिकार के मुद्दे को संबोधित किया गया है. उसे अपील का अधिकार नहीं दिया गया है.
जानें क्या था मामला
बता दें कि तथाकथित जासूसी के आरोपों में कुलभूषण जाधव को मार्च 2016 में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था. पाकिस्तान ने आरोप लगाया कि वह भारत की बाहरी जासूसी एजेंसी, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) के लिए काम करने वाला एक ऑपरेटिव था और पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था. इस आरोप में पाकिस्तान ने अगले वर्ष कुलभूषण जाधव को मौत की सजा सुनाई. वहीं भारत ने कुलभूषण जाधव के खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि जाधव एक पूर्व नौसेना अधिकारी थे, जिन्हें पाकिस्तानी गुर्गों ने ईरान के चाबहार बंदरगाह से अगवा किया था, जहाँ वह अपना व्यवसाय चला रहे थे.
नई दिल्ली ने पाकिस्तान की अदालतों द्वारा उनके खिलाफ चलाए गए मुकदमे को भी “हास्यास्पद” बताकर खारिज कर दिया. कुलभूषण जाधव को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने ICJ का रूख किया, जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय अदालत ने 2018 में जाधव की फांसी पर रोक लगा दी.
आईसीजे ने फैसले में कहा…
अंतरराष्ट्रीय अदालत ने कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगाते हुए कहा कि पाकिस्तान का यह दायित्व है कि वह अपने विवेक से जाधव की सजा और दोषसिद्धि की प्रभावी समीक्षा करे और उस पर पुनर्विचार करे, क्योंकि वियना कन्वेंशन ऑन काउंसलर रिलेशंस के तहत जाधव के अधिकारों का उल्लंघन किया गया है. आदेश में यह भी कहा गया कि कुलभूषण जाधव की फांसी तब तक स्थगित रखी जानी चाहिए जब तक कि उन्हें अपनी सजा के खिलाफ अपील करने के लिए प्रभावी साधन मुहैया नहीं करा दिए जाते.
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