Palestinian Politics: उत्तराधिकारी तय करने की दिशा में बड़ा कदम, राष्ट्रपति अब्बास ने इस शख्स को बनाया उपाध्यक्ष

Raginee Rai
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Palestinian Politics: फिलिस्तीनी राष्‍ट्रपति महमूद अब्‍बास ने उत्‍तराधिकारी तय करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. उन्‍होंने अपने पुराने सहयोगी और भरोसेमंद साथी हुसैन अल-शेख को पीएलओ का नया उपाध्‍यक्ष नियुक्‍त किया है. 89 वर्षीय अब्‍बास के लंबे कार्यकाल के बाद नेतृत्‍व परिवर्तन की संभावनाएं अब और साफ होती दिख रही है. अब्‍बास के बाद अल शेख कार्यवाहक अध्‍यक्ष बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं. हालांकि जनता के बीच उनकी लोकप्रियता ज्‍यादा नहीं है.

पीएलओ के उपाध्‍यक्ष बने अल-शेख

जानकारी के अनुसार, हुसैन अल-शेख को फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (PLO) का उपाध्यक्ष बनाया गया है. हालाँकि, इसका मतलब यह नहीं है कि वह सीधे फिलिस्तीनी राष्ट्रपति बन जायेंगे. लेकिन इससे वे फतह पार्टी के उन नेताओं में सबसे आगे आ गए हैं जो अब्बास के उत्तराधिकारी बनने की रेस में हैं. पीएलओ का उपाध्यक्ष बनने का अर्थ है कि अब्बास के असमर्थ होने या निधन की स्थिति में, अल-शेख कार्यवाहक राष्‍ट्रपति बन सकते हैं.

अल-शेख की छवि को सुधारने की कोशिश

हालांकि, यह नियुक्ति फिलिस्तीन के लोगों के बीच फतह पार्टी की पहले से चली आ रही ‘बंद और भ्रष्ट’ छवि को सुधारने में शायद ही मदद कर पाए. कई सर्वेक्षणों में पाया गया है कि अल-शेख और फतह नेतृत्व जनता के बीच बेहद अलोकप्रिय हैं. इसके बाद भी, अब्बास ने हाल के महीनों में पीएलओ और फिलिस्तीनी अथॉरिटी (PA) में कई सुधारों का ऐलान किया है ताकि गाजा के भविष्य में अपनी भूमिका को मजबूत किया जा सके.

कौन है हुसैन अल-शेख? जिसे बनाया डिप्टी

64 वर्षीय हुसैन अल-शेख दशकों से फतह आंदोलन से जुड़े रहे हैं और इजरायल के साथ समन्वय के अहम जिम्मेदार रहे हैं. वे अब्बास के सबसे करीबी सहयोगी माने जाते हैं और इजरायल व अरब देशों के साथ उनके मजबूत संबंध उन्हें राजनीतिक शक्ति दिलाते हैं. हालांकि, जनता के बीच उनकी छवि एक ‘इजरायल के प्रति नरम’ नेता की बनी हुई है, जिसे लेकर लोगों में असंतोष है. इसके बाद भी मौजूदा परिस्थितियों में वे फिलिस्तीनी नेतृत्व में ताकतवर भूमिका निभाने के लिए तैयार दिख रहे हैं.

फिलिस्तीनी राजनीति में टकराव

जानकारी दें कि फिलिस्तीनी राजनीति में हमास और पीएलओ के बीच लंबे समय से टकराव जारी है. हमास ने साल 2007 में गाजा पर कब्जा कर लिया था और तब से कई कोशिशों के बाद भी दोनों गुटों में सुलह नहीं हो सकी है. ऐसे में, अल-शेख पर गाजा के भविष्य को लेकर नेतृत्व को एकजुट करने का भारी दबाव होगा. इस बीच, सबसे लोकप्रिय नेता मर्वान बरगूती अब भी इजरायली जेल में कैद हैं, जिनकी रिहाई की संभावना निकट भविष्य में नहीं नजर आ रही है.

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