Peace Summit: दो साल से भी अधिक समय से रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है, जिसके रूकने के अभी कोई संकेत नजर नहीं आ रहे है. इसी बीच दुनियाभर के 100 से अधिक नेता स्विट्जरलैंड में जुटे हैं, जिनका उद्देश्य रूस-यूक्रेन संघर्ष के लिए शांति योजना बनाना है, जो कि अब तक के सबसे महत्वाकांक्षी प्रयासों में से एक है. स्विट्जरलैंड के इस जमावड़े में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और यूरोपीय संघ, दक्षिण अमेरिकी, मध्य पूर्व और एशियाई देशों के राष्ट्रपति या प्रमुख भी शामिल हैं.
हालांकि इसके लिए पहले भी यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भारत को भी औपचारिक शांति शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया था. वहीं, स्विस सरकार ने भी जनवरी 2024 में घोषणा किया था कि देश रूस-यूक्रेन युद्ध के शांति फॉर्मूले पर एक वैश्विक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा.
व्लादिमीर पुतिन ने रखी शर्ते
वहीं, यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ सीजफायर के लिए कई शर्ते रखी है. व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि इस युद्ध को रोकने के बदले उन्हें अधिक भूमि चाहिए. इसके साथ ही यूक्रेन को अपने देश के अंदर तक मौजूद सैनिकों को वापस बुलाना होगा और नाटो में शामिल होने की अपनी कोशिशों को भी छोड़ना होगा. हालांकि रूस के इन प्रस्तावों को यूक्रेन समेत अमेरिका और नाटो ने अस्वीकार कर दिया है.
राष्ट्र के सिद्धांतों के महत्व पर चर्चा
ऐसे में अब शांति सम्मेलन में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने और उसका सम्मान करने के संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों के महत्व पर चर्चा होने की संभावना है. वहीं, सम्मेलन को लेकर लोगों का कहना है कि इसका उद्देश्य किसी भी अनुपयोगी पहल के लिए जगह कम हो, इसे जेलेंस्की के लिए एक सफलता के रूप में देखा जाएगा, जो अपनी शांति योजना के लिए अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाने का लक्ष्य बना रहे हैं. बता दें कि शांति योजना में यूक्रेन से रूसी सैनिकों की पूरी तरह वापसी के साथ ही 1991 के सोवियत-पूर्व की सीमाओं पर वापसी शामिल है.
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