Piyush Goyal: भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने एक कार्यक्रम के दौरान एविएशन सेक्टर को लेकर अहम जानकरी दी है. उन्होंने बताया कि हाल ही भारत ने फ्रांस के विमानन उद्योग से देश में मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने के अवसर तलाशने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा विमानन बाजार है. वर्तमान में भारत ने 1,500 विमानों का ऑर्डर है और जल्द ही इसके 2,000 तक जाने की क्षमता है.
गोयल ने फ्रांस के विदेश व्यापार सलाहकारों के एशिया-पैसिफिक प्लेटफॉर्म को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का विमानन कंपनियों को ऑर्डर फ्रांसीसी कंपनियों के हित में होगा. वे भारत में विनिर्माण संभावनाओं को देखें और विमानों तथा उसके रखरखाव, मरम्मत तथा अन्य संबंधित उद्योगों के कलपुर्जों के लिए भारत में अपनी बिक्री बढ़ाने पर विचार कर सकते है.
75 से बढ़कर 125 हो गईं एयरपोर्ट्स की संख्या
जानकारी के मुताबिक, भारतीय कंपनियों के विमानों के ऑर्डर का एक बड़ा हिस्सा फ्रांसीसी कंपनी एयरबस को गया है. ऐसे में भारत में साल 2014 में हवाई अड्डों की संख्या 75 थी जो अब बढ़कर 125 हो गयी है और साल 2029 तक 75 और हवाई अड्डे को संचालित करने की योजना है.
100 प्रतिशत हिस्सेदारी की अनुमति
उद्योग मंत्री ने कहा कि यह उन कंपनियों के लिए बड़ा अवसर है जो हवाई अड्डों और अन्य संबंधित उद्योगों को विकसित करना चाहती हैं. ऐसे में पीयूष गोयल ने विश्व बाजारों के लिए रक्षा क्षेत्र में भारतीय और फ्रांसीसी कंपनियों के बीच संयुक्त उत्पादन साझेदारी का भी सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि हम दुनियाभर की कंपनियों को भारत में विनिर्माण के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, जिसके लिए हम उन्हें 100 प्रतिशत हिस्सेदारी की अनुमति दे रहे हैं.
इन सेक्टर्स में हैं मौके
गोयल ने कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा, कृत्रिम मेधा और क्वांटम प्रौद्योगिकियों तथा सेवा क्षेत्र में भी भारत के साथ साझेदारी के लिए फ्रांसीसी कंपनियों को आमंत्रित किया. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का फ्रांस 11 अरब डॉलर के कुल निवेश के साथ 11वां सबसे बड़ा स्रोत है.
विश्वास और निवेश निरंतर भागीदारी
बता दें कि करीब 750 फ्रांसीसी कंपनियां भारत में और 75 भारतीय कंपनियां फ्रांस में परिचालन कर रही हैं. ऐसे में दोनों देशों के बीच 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 15 अरब डॉलर रहा था. इसमें भारतीय निर्यात 7 अरब डॉलर और आयात 8 अरब डॉलर था. उन्होंने आगे कहा कि इस दौरान व्यापार संतुलित है लेकिन यह क्षमता से कम है. ऐसे में हमें इसे बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए. दोनों देशों के बीच विश्वास और निवेश में हमारी निरंतर भागीदारी को मजबूत करेगा.
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