PM Modi In Ukraine: युद्धग्रस्त यूक्रेन में पीएम मोदी का दौरा यह पूर्ण रूप से स्पष्ट करता है कि वो वहां युद्धविराम के मुद्दों को साझा करने वाले है. ऐसे में भारतीय प्रधानमंत्री के इस दौरे पर पूरी दुनियां की निगाहें टिकी हुई है. ऐसे में पीएम मोदी ने कीव में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात कर उन्हें सहायता सौंपी. जिसके बारे में जानकर पूरी दुनिया ही हैरत में पड़ गई है.
दरअसल भारत ने यूक्रेन को चिकित्सा सहायता के रूप में एक चलता फिरता अस्पताल सौपा है, जिसका नाम भीष्म क्यूब है. ऐसे में सभी के मन में ये सवाल है कि आखिर ये कैसा अस्पताल है.
क्या है भीष्म को विकसीत करने का उद्देश्य
आपको बता दें कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किए गए प्रोजेक्ट भीष्म को स्वास्थ्य मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने मिलकर विकसित किया है. इसका पूरा नाम ‘बैटलफील्ड हेल्थ इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर मेडिकल सर्विसेज’ है. यही वजह है कि इसको भीष्म नाम दिया गया है. इस सेवा को विकसित करने मकसद न सिर्फ भारत में, बल्कि विदेश में भी प्राकृतिक आपदाओं, मानवीय संकटों या शांति और युद्ध के समय में सुगम और तेजी से तैनाती के लिए किया गया है.
एक साथ 200 लोगों का किया जा सकता है इलाज
भीष्म की खास बात ये है कि इसे कहीं पर भी आसानी से पहुंचाया जा सकता है. साथ ही उसमें चिकित्सा के इतने आधुनिक उपकरण हैं कि इससे वहां तुरंत चिकित्सा शुरू भी की जा सकती है. इतना ही नहीं इसे आपातकालीन परिस्थितियों में जहाज से एयरड्रॉप भी किया जा सकता है. इसमें एक साथ 200 लोगों का इलाज किया जा सकता है. ये मॉड्यूलर मेडिकल यूनिट्स हैं जो दूरस्थ या आपदाग्रस्त क्षेत्रों में जल्दी से पहुंचाए जा सकते हैं.
मात्र 12 मिनट में तैयार हो जाते हैं ये क्यूब्स
भीष्म पोर्टेबल हॉस्पिटल क्यूब्स मात्र 12 मिनट में तैयार हो जाते हैं, इसमें मास्टर क्यूब केज के दो सेट होते हैं, प्रत्येक में 36 मिनी क्यूब होते हैं. ये क्यूब्स बेहद मजबूत होने के साथ वाटरप्रूफ और बेहद हल्के होते हैं, जिन्हें जल, थल और वायु में आसानी से ले जाया जा सकता है. इसमें सर्जिकल सुविधाएं, डायग्नोस्टिक टूल्स और रोगी के देखभाल से संबंधित सभी सुविधाएं मौजूद हैं.
जी20 शिखर सम्मेलन में किया गया था पेश
बता दें कि इन पोर्टेबल हॉस्पिटल क्यूब्स का विकास और परीक्षण भारतीय वायु सेना, भारतीय स्वास्थ्य सेवा संस्थानों और डिफेंस टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स ने मिलकर किया है. इसका एक से अधिक बार इस्तेमाल किया जा सकता है. भारतीय सेनाओं को इस परियोजना को तब सराहना मिली जब जी20 शिखर सम्मेलन में विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों के सामने इसे पेश किया गया था.
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