‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ ने बढ़ाई चीन की टेंशन, जानिए क्या है इसका कांग्रेस के शासनकाल से कनेक्शन…

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

PM Modi Singapore Visit Act: बीते दिनों पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए ब्रूनेई और सिंगापुर दौरे से चीन की टेंशन बढ़ी हुई है. वैसे तो पीएम मोदी के सिंगापुर दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच के रिश्‍तों को मजबूत करने के लिए कई ऐसे अहम समझौते हुए, लेकिन पीएम मोदी का इस दौरे पर यह कहना कि ‘भारत की एक्ट ईस्ट नीति के लिए भी सिंगापुर अहम देश है’, चीन की नींदें उड़ा देने के लिए काफी है.

क्या है एक्ट ईस्ट नीति…

दरअसल, दक्षिण चीन सागर में एक छोटा लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण द्वीप है, जो ब्रूनेई और भारत की एक्ट ईस्ट नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बता दें कि लुक ईस्ट पॉलिसी को पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने साल 1992 में शुरू किया था जिसका एक्सपेंशन एक्ट ईस्ट पॉलिसी के रूप में पीएम मोदी ने किया.

भारत ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी की शुरुआत नवंबर 2014 में 12वें आसियान-भारत शिखर समिट के दौरान की थी. तब यह दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ आर्थिक रूप से मजबूती पैदा करने पर फोकस्ड थी. वहीं, अब एक्ट ईस्ट पॉलिसी का फोकस आर्थिक और सुरक्षा सहयोग पर है.

चीन के लिए चुनौतीपूर्ण एक्ट ईस्ट पॉलिसी

एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों के साथ संबंधों को गहरा, बेहतर और प्रोग्रेसिव रखने पर जोर दिया जाता है. इस पाफलिसी का फोकस क्षेत्र केवल दक्षिण-पूर्व एशिया तक था, जबकि एक्ट ईस्ट पॉलिसी का फ़ोकस क्षेत्र दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ-साथ पूर्वी एशिया तक भी बढ़ा है. ऐसे में यह चीन के लिए कई तरह से चुनौतीपूर्ण है.

क्षेत्रीय स्थिरता पर मंडरा रहा खतरा

दरअसल, साउथ चाइना-सी में चीन अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास कर रहा है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी चीन के इस बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने में मदद करता है और इसमें सिंगापुर से मजबूत संबंध काफी अहम साबित होंगे.

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