तीसरे विश्वयुद्ध की तैयारी शुरू! रूस से लड़ने के लिए ताकत बढ़ाने में जुटा नाटो

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

NATO Defense Strategy: रूस और यूक्रेन का युद्ध लगातार बढ़ता जा रहा है. जंग को तीन साल होने वाले हैं और इस दौरान रूस ने अकेले ही जंग लड़ी है. रूस ने दिखा दिया है कि वह काफी ताकतवार है, जिस वजह से अब नाटो देश डरे हुए हैं. इस जंग के पूरे यूरोप में फैलने का डर है. नाटो और उसके सदस्य देश रूस के साथ जंग लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. इससे तीसरे विश्‍व युद्ध का भी खतरा मंडरा रहा है. रूसी सेना की ओर से आगामी भविष्य में उसकी सीमा के करीब के देशों पर हमले की चेतावनी दी जा रही है. इस वजह से यूरोप के देशों में रक्षा से जुड़े तैयारियां चल रही हैं.

पश्चिमी देशों के साथ जंग की तैयारी कर रहा रूस…

जर्मनी की विदेशी खुफिया सेवा के प्रमुख ब्रूनो कहल ने नवंबर के अंत में कहा कि रूस पश्चिमी देशों के साथ जंग की तैयारी कर रहा है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि नाटो के चलते यह एक बड़ा हमला नहीं करेगा. नाटो पूर्ण युद्ध और गठबंधन के सदस्यों को कमजोर करने के लिए उठाए गए कदम के लिए तैयारी में लगा हुआ है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, नाटो एकजुट है या नहीं, इसका परीक्षण करने के लिए रूस के पास कई स्पष्ट तकनीकें हैं.

इसमें रूस की सीमित भूमि पर नियंत्रण भी शामिल है. यूरोपीय संघ के रक्षा आयुक्त एंड्रियस कुबिलियस ने सितंबर में कहा था कि रक्षा मंत्री और नाटो कमांडर इस बात से सहमत है कि रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन 6 से 8 सालों में नाटो और यूरोपीय संघ के साथ टकराव के लिए तैयार हो सकते हैं.

रूस से बचने की तैयारी में नाटो

नाटो के पूर्वी सदस्य, जैसे पोलैंड और बाल्टिक देश अपनी सुरक्षा को मजबूत करने में लगे हैं. लातविया, एस्टोनिया और लिथुआनिया ने रूस और उसके सहयोगी बेलारूस से संभावित घुसपैठ के खिलाफ सीमा सुरक्षा बढ़ाने के लिए एग्रीमेंट किए हैं. इसके अलावा जर्मनी दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान के अपने बंकरों को फिर से बेहतर बनाने में जुट गया है. वह ऐसे एप बनाने में लगा है, जिससे लोगों को हमले के दौरान करीबी बंकर के बारे में जानकारी हो सके. बेलारूस और रूस के कलिनिनग्राद एक्सक्लेव से लगने वाला देश पोलैंड अपनी ‘ईस्ट शील्ड’ परियोजना में भारी निवेश कर रहा है.

रूस के डर से बढ़ा रहे सुरक्षा

यूरोपीय देश केवल सैन्य ही नहीं बल्कि नागरिक सुरक्षा प्रयासों में भी तेजी ला रहे हैं. नाटो के सबसे नए सदस्य स्वीडन और फिनलैंड ने नागरिकों की संकट की तैयारियों और जंग के समय जिम्मेदारी बताने के लिए पर्चे छापे हैं. लिथुआनिया में, निकासी योजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है. नाटो के लिए हवाई सुरक्षा एक अहम प्राथमिकता बनी हुई है. बाल्टिक देशों और हंगरी ने संभावित हवाई खतरों का सामना करने के लिए नई फैसिलिटी का ऐलान किया है. हालांकि,  इन सुरक्षा तैयारियों में भी फूट देखने को मिल रही है. पूर्वी यूरोप के देश जो रूस के करीब हैं वह जितनी तेजी से तैयारी कर रहे हैं, पश्चिमी यूरोप के देश उनसे बहुत पीछे हैं.

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