Rabbit Fever Spread In US: इस समय चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) तेजी से पैा पसार रहा है, जिससे देश में आपातकाल जैसी स्थिति बनी हुई है. वहीं, दूसरी ओर अब अमेरिका में टुलारेमिया के मामलों जोरदार वृद्धि देखी जा रही है. वहीं, इस दुर्लभ बीमारी को ‘रैबिट फीवर’ के नाम से भी जाना जाता है.
दरअसल, अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) द्वारा हाल ही में पेश की गई एक रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले 10 वर्षो में अमेरिका में रैबिट फीवर (टुलारेमिया) के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है.
संक्रमित होने वाली बीमारी है रैबिट फीवर
बता दें कि रैबिट फीवर एक ऐसी संक्रमित होने वाली बीमारी है, जो बैक्टीरिया फ्रांसीसेल्ला टुलारेन्सिस के वजह से होता है. ऐसे में इस दुर्लभ बीमारी को लेकर सबसे बड़ा सवाल ये है कि इसके क्या लक्षण है और ये किस तरह से फैलता है.
कैसे फैलता है रैबिट फीवर?
साइंस अलर्ट की रिपोर्ट की मानें तो ये बीमारी विभिन्न तरीकों से फैलती है. इसमें संक्रमित टिक, डियर मक्खी के काटने और संक्रमित जानवरों, जैसे खरगोश और चूहे के साथ सीधे संपर्क में आने से भी फैलता है. इसके अलावा कभी-कभी संक्रमित जानवरों के घोंसलों पर भी बैक्टीरिया होता है, जो घास फूस पर भी चले जाते हैं, जिसके वजह से अनजाने में घास काटने वाले व्यक्ति को भी संक्रमण हो सकता है.
टुलारेन्सिस के लक्षण
टुलारेन्सिस की गंभीरता के अलग-अलग हो सकती है, लेकिन इसमें बुखार समान्य लक्षण है. वहीं, सीडीसी के मुताबिक, स्किन या मुंह में छालें, गलें में खरास, सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द, आंखों में जलन और सूजन जैसी समस्याएं आपको देखने को मिल सकती है.
घास काटने से फैला संक्रमण
रिपोर्ट के मुताबिक, संक्रमण का यह मोड पहली बार वर्ष 2000 में मैसाचुसेट्स वाइनयार्ड में देखा गया था, जहां टुलारेमिया (रैबिट फीवर) का प्रकोप छह महीने तक जारी रहा. जिसके चलते 15 संक्रमण के केस सामने आए थे. इस दौरान एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी. वैसे ही साल 2014-2015 में भी कोलोराडो में दर्ज किये गए कई मामलों में से एक मामला भी लॉन की घास काटने से ही जुड़ा था.
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