मदद नहीं, मौत की घंटी…, फ्रांस ने यूक्रेन को दी घातक मिसाइल के इस्तेमाल की मंजूरी तो भड़का रूस

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Russia Ukraine war: रूस-यूक्रेन युद्ध में NATO के सदस्‍य देश आग में घी डालने का काम कर रहे हैं. इस युद्ध के दौरान रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन की परमाणु चेतावनी को दरकिनार कर एक के बाद एक नाटो के 3 सदस्य देशों ने यूक्रेन को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है.

हालांकि इससे पहले पुतिन ने चेतावनी दी थी कि यदि उनके देश में NATO के सदस्य देशों की मिसाइलें गिरती है, तो वह इसे पूरे नाटो का हमला मानेंगे, लेकिन पुतिन के धमकी का किसी भी सदस्‍य देश पर कोई प्रभाव पड़ता हुआ नजर नहीं आ रहा है, क्‍योंकि अमेरिका के बाद अब ब्रिटेन और फ्रांस ने भी यूक्रेन को अपनी लंबी दूरी वाली ‘स्कैल्प मिसाइल’ के रूस के खिलाफ इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है.

तीसरा विश्व युद्ध करवाने की कोशिश…

इस युद्ध की शुरुआत से ही यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक मदद मुहैया कराने वाले NATO के सदस्य देश अब इस लड़ाई को भड़काने की भूमिका में नजर आ रहे हैं. वहीं, अमेरिका में तो नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बड़े बेटे ट्रंप जूनियर ने जो बाइडेन प्रशासन के फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे तीसरा विश्व युद्ध करवाने की कोशिश करार दिया था.

फ्रांस के लिए नहीं कोई रेड लाइन

बता दें कि ‘स्कैल्प मिसाइल’ के रूस के खिलाफ इस्तेमाल को मंजूरी देते हुए फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट ने कहा यूक्रेन ‘आत्मरक्षा के तर्क’ के तहत रूस में फ्रांसीसी लंबी दूरी की मिसाइलें दाग सकता है. यूक्रेन के समर्थन के लिए फ्रांस कोई ‘रेड लाइन’ बनाने का विचार नहीं रखता है. जबकि ग्राउंड फोर्स की तैनाती की संभावना वाले सवाल पर भी उन्होंने इनकार नहीं किया है.

यूरोप की ओर भी बढ़ता है खतरा

बैरोट ने कहा है कि हम यूक्रेन की तीव्रता से मदद करते रहेंगे जब तक यह जरूरी है, हम किसी भी विकल्प को खारिज नहीं कर सकते, क्योंकि इस जंग में सुरक्षा दांव पर है. हर बार जब रूस की सेना एक किलोमीटर स्क्वायर आगे बढ़ती है तो इसके साथ खतरा यूरोप की ओर भी बढ़ता है.

यूक्रेन के लिए मौत की घंटी

वहीं रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा है कि फ्रांस का ये कदम यूक्रेन के लिए मदद नहीं है बल्कि यह यूक्रेन के लिए मौत की घंटी है. दरअसल, रूस लगातार पश्चिमी देशों को इस कदम के लिए चेतावनी दे रहा है. इससे पहले जब अमेरिका ने यूक्रेन को ATACMS मिसाइलों के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी तो पुतिन ने बड़ी जवाबी कार्रवाई करते हुए रूस के न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन में बदलाव कर दिया था. ऐसे में यदि किसी न्यूक्लियर पावर देश के समर्थन से रूस पर हमला होता है तो वह इस स्थिति में परमाणु हथियार के इस्तेमाल पर विचार कर सकता है.

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