जेलेंस्की ने यूरोपीय देशों के सामने पेश की “रूस विजय योजना”, विरोध और समर्थन दोनों में ही मिली प्रतिक्रिया

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Russia Ukraine War: राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने यूरोप के सामने “विजय योजना” पेश की है, जिसमें रूस के साथ जंग में यूक्रेन की रणनीति के बारे में जिक्र किया गया है. यूक्रेन ने अपने इस विजय योजना में रूस के साथ चल रहे युद्ध को खत्म करने का दावा किया है. लेकिन यूक्रेन के कई सहयोगियों को उनके इस प्लान पर भरोसा नहीं हो पा रहा है. क्‍योंकि जेलेंस्की की इस ‘विजय योजना’ को अब तक पश्चिमी देशों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है.

राष्‍ट्रपति जेलेंस्की ने देश और विदेश में जिस ‘विजय योजना’ की रूपरेखा पेश की है उसमें यूक्रेन को नाटो में शामिल होने का औपचारिक आमंत्रण देना और रूसी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए पश्चिमी देशों से प्राप्त लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम मिसाइलों का इस्‍तेमाल करने की अनुमति देना शामिल है. जेलेंस्‍की के ये दोनों कदम ऐसे हैं, जिनके समर्थन के प्रति कीव के सहयोगी पहले से ही अनिच्‍छुक है.

प्रस्‍तावों को समर्थन मिलना जरूरी  

ऐसे में यदि जेलेंस्की को इन प्रस्तावों पर अन्य सहयोगियों से समर्थन प्राप्त करना है तो उसके लिए उन्‍हें अमेरिका का समर्थन मिलना आवश्‍यक है. वहीं, जानकारों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन कर देश में होने वाले राष्‍ट्रपति चुनाव से पहले कोई भी निर्णय लेने की उम्‍मीद नहीं है. जबकि यूक्रेनी राष्ट्रपति का मानना है कि युद्ध में यूक्रेन की स्थिति को मजबूत करने और किसी भी शांति वार्ता से पहले उनके इन प्रस्तावों को समर्थन मिलना जरूरी है.

अमेरिका ने यूक्रेन से कही खरी-खरी

हालांकि इस मामले में भले ही अमेरिका ने कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाई है, लेकिन यूक्रेन की सुरक्षा सहायता के लिए उसने 42.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर का नया पैकेज उसी दिन जारी कर दिया, जिस दिन जेलेंस्की ने सांसदों के समक्ष योजना पेश की थी. जबकि अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि इस योजना का सार्वजनिक रूप से मूल्यांकन करना मेरा कार्य नहीं है.

फ्रांस के विदेश मंत्री ने किया समर्थन

जेलेंस्की के इस योजना को लेकर यूरोपीय देशों की प्रतिक्रियाओं में स्पष्ट विरोध से लेकर मजबूत समर्थन तक शामिल हैं. इसमें एक ओर जहां फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरो कीव में कहा कि वह प्रस्ताव के समर्थन के लिए अन्य देशों को एकजुट करने के लिए यूक्रेनी अधिकारियों के साथ काम करेंगे. तो वहीं दूसरी ओर जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज कीव को टॉरस नामक लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों की आपूर्ति करने से इनकार कर अपने रुख पर कायम हैं.

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