‘हिंसक और दर्दनाक होते है संघर्ष’, एस जयशंकर बोले- दुनिया की स्थिति के बारे हल्के ढंग से कहना मुश्किल

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

S Jaishankar: इस समय दुनियाभर में चल रहे संघर्षो के बारे में बात करते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आतंकवाद का भी जिक्र किया. उन्‍होंने आतंकवाद को एक चुनौती बताते हुए कहा कि कहा कि इससे बहुत अधिक संकल्प और प्रतिबद्धता के साथ निपटने की आवश्यकता है.

संघर्ष पर बात करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने पर भी एक शब्द कहना उचित होगा, खासकर एक ऐसे देश के विदेश मंत्री के रूप में जो लंबे समय से आतंकवादी प्रयासों का शिकार रहा है.

बहुत कुछ ऐसा जिसके बारे में आपने…

संघर्ष को हिंसक और दर्दनाक बताते हुए उन्होंने कहा कि मैं दुनिया की स्थिति के बारे में एक व्यापक अवलोकन करना चाहता हूँ, जिसे बहुत हल्के ढंग से कहना मुश्किल है. उन्‍होंने कहा कि कई कारणों से हमारा ध्यान आमतौर पर संघर्षों पर ही लगा रहता है. संघर्ष हिंसक होते हैं, दर्दनाक होते हैं. आप इसके बारे में अखबारों में पढ़ते हैं, टीवी पर देखते हैं, फोन पर देखते हैं. लेकिन बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जिसके बारे में जरूरी नहीं कि आपने पढ़ा हो.

उन्‍होंने कहा कि संघर्षों के बारे में भी एक अनुमान के अनुसार दुनिया में करीब 60 संघर्ष चल रहे हैं, शायद दो या तीन अखबारों या टीवी पर आते हैं. हालांकि इस समय सबसे परेशान करने वाली बात ये है कि इस दशक के अंत तक देश अपने सतत विकास लक्ष्यों तक पहुंचे.

बुनियादी विकास सूचकांकों का भी किया जिक्र

वहीं, बुनियादी विकास सूचकांकों के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के आकलन का भी हवाला देते हुए एस जयशंकर ने कहा कि एक साल पहले, संयुक्त राष्ट्र ने आकलन किया था कि बुनियादी विकास सूचकांकों, स्वास्थ्य, पानी, बिजली, घर, साक्षरता, पोषण के मामले में, हम 4 साल के अंत में लगभग 17 प्रतिशत पर हैं और हमें दशक के अंत तक क्या हासिल करना चाहिए.

इन मुद्दों पर करना चाहिए काम

इसलिए, दुनिया की स्थिति कठिन है, अधिक संघर्ष, महामारी के बाद के प्रभाव, चरम जलवायु घटनाएं, ऋण संकट, देश अपने विकास और बुनियादी जरूरतों में पिछड़ रहे हैं. यही वजह है कि हम व्यक्तिगत रूप से अन्य संस्थानों के जरिए द्विपक्षीय रूप से और क्या कर सकते हैं, मुझे लगता है कि ये शायद ऐसे मुद्दे हैं जिन पर हमें काम करना चाहिए, बात करनी चाहिए.

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