Saudi Crown Prince Mohammed Bin Salman: सऊदी अरब के वास्तविक शासक क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने चिंता जताई है कि अगर वे इजराइल के साथ समझौता करते हैं तो उनके जान को खतरा हो सकता है. अमेरिका स्थित न्यूज आउटलेट पोलिटिका की एक रिपोर्ट में क्राउन प्रिंस को लेकर यह खुलासा किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, अगर क्राउन प्रिंस सलमान ने इजराइल के साथ समझौता किया, तो उनकी जान को खतरा है.
मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात से की अपनी तुलना
पूर्व अमेरिकी अधिकारी का हवाला देते हुए पोलिटिका ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मोहम्मद बिन सलमान ने अमेरिकी सांसदों के साथ हुई चर्चा में अपनी तुलना मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात से की है. मिस्त्र के राष्ट्रपति सादात की इजराइल के साथ पीस डील करने के बाद हत्या कर दी गई थी. ये दावा ऐसे वक्त में किया गया है, जब गाजा में इजराइली हमले के बाद पूरे मध्य पूर्व में इजराइल के खिलाफ गुस्सा का माहौल है.
मेरा कार्यकाल सुरक्षित नहीं
क्राउन प्रिंस सलमान ने अमेरिकी सांसदों से कहा कि इस्लाम के पवित्र स्थलों के संरक्षक के तौर पर मेरा कार्यकाल सुरक्षित नहीं होगा, यदि मैं हमारे क्षेत्र में न्याय के सबसे जरूरी मुद्दे पर ध्यान नहीं देता. कुछ खबरों ने दावा किया था कि अक्टूबर से पहले सऊदी बिना फिलिस्तीन को एक आजाद राज्य का दर्जा मिले इजराइल के साथ रिश्ता बनाने के लिए तैयार था. फिर इजराइल और हमास युद्ध ने इसे रोक दिया.
‘बिना फिलिस्तीन के कोई समझौता नहीं’
सऊदी क्राउन प्रिंस ने इस बात पर जोर दिया है कि किसी भी डील में फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के लिए एक स्पष्ट मार्ग होना चाहिए, भले ही उसकी संप्रभुता और सीमाएं कुछ भी हो. ये एक ऐसा कंडीशन है जिसे इजराइल मना करता रहा है. इजराइल फिलिस्तीन को कम से कम क्षेत्र में भी एक स्वतंत्र राज्य देने के लिए तैयार नहीं है, चाहें यह अवैध बस्तियों से अलग किए गए वेस्ट बैंक के द्वीपों पर बनाया जाए.
सौदा हुआ तो सऊदी की मदद करेगा अमेरिका
बता दें कि अमेरिका कई सालों से इजराइल और सऊदी अरब के बीच राजनायिक रिश्ते कायम कराने का प्रयत्न कर रहा है. अगर सऊदी इजराइल के साथ पीस डील साइन करता है, तो अमेरिका की ओर से उसको सुरक्षा, निवेश और सिविलियन न्यूक्लियर प्रोग्राम में मदद की जाएगी. अमेरिका और इजराइल की सौदे को लेकर तत्परता इस बात का सबूत है कि वे मुस्लिम दुनिया में सऊदी अरब के प्रभाव को अच्छी तरह समझते हैं और ईरान के बढ़ते खतरें के बीच उनके लिए सऊदी एक जरूरी अलाय है.
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