12 साल बाद इन दो देशों के बीच शुरू हुई सीधी उड़ान, इस वजह से थी बंद

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Saudi-Syria Relationship: 12 साल बाद सीरिया और सऊदी अरब के बीच मंगलवार को डायरेक्ट फ्लाइट शुरू की गई. दोनों देशों के बीच ये आवागमन सालाना होने वाली हज यात्रा को देखते हुए शुरू की गई है. सीरिया के ट्रांसपोर्ट मंत्रालय के मातहत काम करने वाले एक अधिकारी के बताया कि सीरिया के 270 तीर्थयात्रियों को लेकर एक फ्लाइट ने मंगलवार को उड़ान भरा. ये उड़ान सीधे सऊदी अरब के जेद्दा पहुंची. हालांकि,  इन देशों के बीच सीधी उड़ान केवल और केवल हज के दौरान ही जारी रहेगा. बता दें कि सीरिया में 12 साल पहले शुरू हुए गृह युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान बंद हो गई थी.

पिछले साल दिख गई थी इसकी झलक

सऊदी और सीरिया के बीच शुरू हुए डायरेक्‍ट फ्लाइट को दोनों देशों के रिश्‍ते को बेहतर होते देखा जा रहा है. इनके बीच राजनयिक रिश्तों में सुधार की एक झलक साल 2023 में भी देखने को मिली थी. पिछले साल मई में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की सऊदी अरब की यात्रा हुई. सऊदी में वह रियाद में आयोजित हुए अरब लीग के शिखर सम्मेलन का हिस्‍सा बनें. बशर अल असद तकरीबन 13 साल के बाद इस शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे. इस कदम को सीरिया के अरब लीग में वापसी और रियाद से नरम होते संबंध के रूप में देखा गया.

अरब लीग से कब बाहर हुआ सीरिया

अरब दुनिया के देशों का एक क्षेत्रीय मंच है अरब लीग. इसकी स्थापना इजिप्ट की राजधानी काइरो में मार्च 1945 में की गई थी. कुछ 6 सदस्‍य देशों के साथ इस संगठन की नींव रखी गई. ये 6 सदस्‍य देश इजिप्ट, इराक, ट्रांस जॉर्डन (तब का जॉर्डन), लेबनान, सऊदी अरब और सीरिया है.

इस संगठन में दो महीने के बाद मई में यमन भी शामिल हो गया. आज के समय में अरब लीग के कुल 22 सदस्य हैं. साल 2011 में अरब लीग ने सीरिया की सदस्यता रद्द कर दी थी. इसका भी कारण वही गृह युद्ध है जिससे सऊदी अरब और सीरिया ने संबंध तोड़ लिए थे.

2011 में सीरिया में उग्र प्रदर्शन

साल 2011 में अरब स्प्रिंग के आसपास सीरिया में बशर अल असद की सरकार के खिलाफ उग्र प्रदर्शन शुरू हो गया. इसे असद के शासन के खिलाफ और लोकतांत्रिक सरकार की मांग के रूप में देखा गया. बशर अल असद की सरकार ने प्रदर्शनों को दबाने के लिए क्रूर तरीके अपनाएं. बाद में कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि असद सरकार को गिराने के लिए हथियारबंद लड़ाकों के समूह को सऊदी अरब, कतर और कई दूसरे अरब देशों ने समर्थन किया.

उधर, असद को रूस, ईरान और कई दूसरे हथियारबंद लड़ाकों का सपोर्ट मिला और असद की सरकार नहीं गिरी. अरब देशों को जब ये लगने लगा कि असद की सरकार गिराना संभव नहीं तो फिर एक बार वे संबंध ठीक करने लगे हैं. सीरिया और सऊदी बेहतर होते संबंध उसी का एक नमूना है.

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