क्यों शेख हसीना को है भारत से लगाव? जानिए लगातार चौथी बार बांग्लादेश की कमान संभालने वाली प्रधानमंत्री की कहानी

Raginee Rai
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Sheikh Hasina And Indira Gandhi: बांग्‍लादेश में एक बार फिर शेख हसीना प्रधानमंत्री बनने जा रही है. रविवार यानी 7 जनवरी को हुए आम चुनाव में शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग ने 300 में से दो-तिहाई से ज्‍यादा सीटें जीत ली है.  इसके साथ ही शेख हसीना 5वीं बार प्रधानमंत्री बनेंगी. शेख हसीना 2009 से ही प्रधानमंत्री हैं इससे पहले वह 1991 से 1996 तक भी प्रधानमंत्री रह चुकीं हैं.

शेख हसीना का भारत से है गहरा नाता  

बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजिद का भारत से गहरा और अटूट रिश्‍ता है, जिसे वह शायद ही कभी भुला पाएंगी. शेख हसीना को अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल दौर में भारत ने सहारा दिया था. भारत की राजधानी दिल्‍ली में उन्‍होंने अपने कई साल गुजारे थे. ये उस समय की बात है, जब शेख हसीना का राजनीति से दूर-दूर तक कोई रिश्‍ता नहीं था. तब शेख हसीना ने शायद ही कभी सोचा होगा कि एक दिन वह बांग्‍लादेश की पीएम बनेंगी. आज ये भी एक वजह है कि भारत और बांग्‍लादेश के बीच संबंध गहरे होते जा रहे हैं. आज की खबर में हम आपको बांग्‍लादेश की पीएम शेख हसीना के बारे में बताने जा रहे हैं.

पिता की हुई हत्या 

शेख हसीना बांग्‍लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी हैं. 15 अगस्‍त 1975 को मुजीबुर्रहमान, उनकी पत्‍नी, तीन बेटों और परिवार के दूसरे सदस्यों का बांग्‍लादेश सेना के कुछ अधिकारियों ने कत्ल कर दिया था. इससे पहले 30 जुलाई, 1975 को बांग्लादेश से उनके पिता अपनी दो बेटियों की जान का खतरा देखकर उन्‍हें जर्मनी भेज दिया. उस समय बड़ी बेटी 28 साल की है, जबकि छोटी 20 की थी. करीब 16 दिन बाद, 15 अगस्त को खबर आती है कि उनके पिता की बांग्लादेश में कत्‍ल कर दिया गया. जैसे ही जर्मनी में ये बात फैली तो  दोनों लड़कियों और उनके पति से यह ठीहा छिनने की कवायद तेज हो गई. उस समय किसी को अंदाजा न रहा होगा कि बेघर हुई दोनों लड़कियों में से एक किसी दिन बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनेगी.

मुजीबुर्रहमान की बेटियां शरण चाहती हैं

जिस समय शेख हसीना के पिता को मार दिया गया, उस समय हसीना केवल 28 साल की थीं. जब हसीना को शरण देने के लिए कई देशों ने अपने हाथ खड़े कर लिए थे, तब भारत ने उनका साथ दिया. उन दिनों  भारत में इमरजेंसी का दौर चल रहा था. इंदिरा गांधी परेशानियों से जूझ रही थीं. लेकिन जब उन्हें पता चला कि मुजीबुर्रहमान की दो बेटियां शरण चाह रही हैं, तो उन्होंने तुरंत हामी भर दी और उन्हें भारत बुला लिया गया.

इंदिरा गांधी से पहली मुलाकात

शेख हसीना जब पहली बार इंदिरा गांधी से मिली तो उन्‍होंने उनसे पूछा कि क्या आपको पता है कि 15 अगस्त को बांग्लादेश में परिवार के साथ क्या हुआ?  इस पर वहां मौजूद एक अधिकारी ने बताया कि आपके परिवार के सभी 18 सदस्यों का कत्‍ल कर दिया गया है. इनमें हसीना का 10 साल का छोटा भाई भी शामिल था. यह सुनकर शेख हसीना की चीख निकल पड़ी. इंदिरा गांधी ने शेख हसीना को गले लगा लिया. इंदिरा गांधी ने कहा कि आपके नुकसान की भरपाई तो नहीं हो सकती, लेकिन आपका एक बेटा और बेटी हैं. आज से आप अपने बेटे में अपने पिता और बेटी में अपनी मां को देखिए. उस समय भारत सहित दुनिया के कई लोग हैरान थे कि इंदिरा इमरजेंसी के समय में भी एक अनजान लड़की की सहायता क्यों कर रही हैं. किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह एक मदद बरसों तक भारत और बांग्लादेश के संबंध को मजबूत बनाए रखेगी.

6 साल तक भारत में रहीं शेख हसीना

भारत में रहने के लिए शेख हसीना को इंडिया गेट के पास पंडारा पार्क में एक फ्लैट दिया गया. यहां वो परिवार के साथ रहने लगी. उन्हें हिदायत दी गई थी कि वो बाहर के किसी भी व्‍यक्ति से न मिलें. घर में एक टीवी था, जिस पर केवल दूरदर्शन सिर्फ दो घंटे के लिए चलता था. इसके बाद इंदिरा गांधी ने हसीना के पति डॉक्टर वाजेद को परमाणु ऊर्जा विभाग में फेलोशिप दी. 6 साल तक भारत में रहने के बाद वो बांग्लादेश चली गईं. वहां उन्‍होंने नए सिरे से राजनीति की शुरुआत की. वर्ष 1996 में शेख हसीना पहली बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं.

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