Smiling Buddha: चाबहार पोर्ट को लेकर भारत और ईरान के बीच बड़ा समझौता हुआ है, जिसके तहत भारत को 10 साल के लिए ओमान की खाड़ी में स्थित इस रणनीतिक पोर्ट का संचालन का अधिकार मिल गया है. हालांकि भारत और ईरान के बीच हुए इस समझौते के बाद अमेरिका को मिर्ची लगी है और उसने भारत को प्रतिबंधों की चेतावनी जारी की.
अमेरिका के इस चेतावनी की करारा जवाब देते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अमेरिका अपनी सोच बड़ी करें, क्योंकि इस योजना से पूरे क्षेत्र को फायदा होगा. वैसे तो ये पहली बार नहीं है, जब अमेरिका ने भारत को प्रतिबंधों की चेतावनी दी है. बल्कि, 50 साल पहले जब भारत ने पोकरण में पहला परमाणु परीक्षण किया था, तब अमेरिका ने 30 सालों के लिए भारत पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन यह प्रतिबंध नई दिल्ली के लिए वरदान साबित हुआ और इसके बाद भारत और मजबूत होकर उभरा.
क्या था भारत का पहला परमाणु परीक्षण?
दरअसल, भारत ने 18 मई 1974 को राजस्थान के पोकरण में अपना पहला ऐतिहासिक परमाणु परीक्षण किया था. जिसका नाम आपरेशन स्माइलिंग बुद्धा (Smiling Buddha) था. ये मिशन काफी बड़ा था. लेकिन फिर भी इसकी किसी को भनक नहीं लगी. वहीं, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसे ‘शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोट’ कहा था, इस परमाणु बम के सफल परिक्षण के बाद अमेरिका तिलमिलाया था कि उसने अगले 30 सालों तक भारत को कोई भी तकनीक दिए जाने पर प्रतिबंध बनाए रखा.
भारत के लिए वरदान बने अमेरिकी प्रतिबंध
वहीं, रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी ने पोकरण पर अमेरिकी प्रतिबंधों का जिक्र करते हुए लिखा कि ‘पश्चिमी प्रतिबंधों से भारत मजबूत होकर उभरा है, जिसमें बैलिस्टिक मिसाइल, मजबूत परमाणु हथियार और नागरिक अंतरिक्ष क्षमताएं विकसित करने के साथ ही रणनीतिक कार्यक्रमों में आत्मनिर्भर बनना शामिल है. भारत की शांत संस्कृति को देखते हुए प्रतिबंध वरदान साबित हुए.’
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