Soft Drinks Disease: आज के समय में सॉफ्ट ड्रिंक्स का ट्रेंड काफी बढ़ गया है. ज्यादातर लोग बाहर जाते हैं तो सॉफ्ट ड्रिंक पीना पसंद करते हैं. लेकिन सॉफ्ट ड्रिंक सेहत के लिए कितना हानिकारक है, इसका अंदाजा आप सामने आई एक रिपोर्ट से लगा सकते है. दरअसल, एक रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि हाई शुगर लेवल वाले ड्रिंक पीने से 22 लाख लोग डायबिटीज की चपेट में आ गए.
रिसर्च में क्या सामने आया?
हाल ही में नेचर मेडिसिन ने एक शोध पब्लिश की है जो बताती है कि साल 2020 में, हाई शुगर वाली सॉफ्ट ड्रिंक पीने से ग्लोबल लेवल पर टाइप 2 डायबिटीज के अनुमानित 2.2 मिलियन (22 लाख) मामले सामने आए हैं. इस शोध में नेचर मेडिसिन ने 184 देशों का सर्वे किया. इसमें पता लगाया गया कि वैश्विक स्तर पर कितने लोग शुगर वाले सॉफ्ट ड्रिंग पीने से डायबिटीज और हार्ट की बीमारियों का शिकार बनते हैं. टाइप 2 डायबिटीज के केस के अलावा, रिसर्चर्स ने अनुमान लगाया कि हार्ट की बीमारियों के सॉफ्ट ड्रिंक पीने के चलते 1.2 मिलियन मामले सामने आए हैं.
रिसर्च में पता चला कि वैश्विक स्तर पर महिलाओं के मुकाबले पुरुष ज्यादा सॉफ्ट ड्रिंक पीते हैं. इसके साथ ही युवा भी सॉफ्ट ड्रिंक का ज्यादा सेवन करते हैं. रिसर्च में बताया गया कि दुनिया के सभी क्षेत्रों में सॉफ्ट ड्रिंक से होने वाली बीमारियों का लेवल अलग-अलग है. स्टडी के अनुसार, सबसे ज्यादा सॉफ्ट ड्रिंक पीने से लैटिन अमेरिका, कैरेबियन और सब-सहारा अफ्रीका में सबसे ज्यादा मामले देखने को मिले हैं.
यहां ज्यादा मामले आए सामने
रिसर्च के अनुसार सब-सहारा अफ्रीका में 21 फीसदी लोग सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन करने के चलते डायबिटीज का शिकार हो गए. लैटिन अमेरिका और कैरेबियन में 24 फीसदी डायबिटीज और 11 फीसदी हार्ट की बीमारियों के मामले सामने आए हैं. रिसर्च में सामने आया है कि कोलंबिया में साल 2020 में शुगर वाली सॉफ्ट ड्रिंक पीने से 50 फीसदी डायबिटीज के मामले सामने आए हैं.
सॉफ्ट ड्रिंक पीने से टाइप 2 डायबिटीज केस की बढ़ती घटनाएं अमेरिका में भी सामने आई है. अमेरिका में 1990 से 2020 तक प्रति 1 मिलियन लोगों पर 671 को डायबिटीज के केस सामने आए हैं. रिसर्च के ऑथर्स ने कहा कि शुगर वाले सॉफ्ट ड्रिंक की मिडिल- क्लास नेशन में बड़े लेवल पर मार्केटिंग की जाती है. इससे उनकी सेहत पर असर पड़ता है.
सख्त नीति की जरूरत
रिसर्च करने वाले विशेषज्ञों ने कहा कि सरकारों को मीठे पेय पदार्थों पर सख्त नीतियां लागू करनी चाहिए, ताकि इनसे होने वाले डायबिटीज और हार्ट की बीमारियों को रोका जा सके. इससे लोगों की सेहत बेहतर होगी और गंभीर बीमारियों का खतरा कम होगा.
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