दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति तक नहीं पहुंच सकी भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी, यून सुक येओल के आवास से खाली हाथ लौटना पड़ा वापस

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

South Korea: दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल को हिरासत में लेने के लिए उनके आवास पहुंचे भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी को खाली हाथ लौटना पड़ा है. एजेंसी का कहना है कि वह राष्ट्रपति यून के आवास पर घंटों के गतिरोध के बाद भी उन्हें हिरासत में लेने में विफल रही.

बता दें कि इस समय राष्ट्रपति यून सुक येओल महाभियोग का सामना कर रहे है. ऐसे में उन्‍हें हिरासत में लेने के लिए दक्षिण कोरिया की भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी ने येओल को हिरासत में लेने के वारंट की तामील करने के लिए शुक्रवार को जांचकर्ताओं को सियोल भेजा था, लेकिन इस दौरान यून के आवास पर सैकड़ों समर्थक एकत्र हैं, जिसके वजह से जांचकर्ताओं को खाली हाथ लौटना पड़ा.

अदालत ने हिरासत में लेने का जारी किया था वारंट

दरअसल, दक्षिण कोरिया की एक अदालत ने राष्‍ट्रपति यून सुक येओल को हिरासत में लेने और उनके कार्यालय की तलाशी लेने के लिए हाल में वारंट जारी किया था. जांच एजेंसी के मुताबिक, इस महीने की शुरुआत में लागू किए गए अल्पकालिक मार्शल लॉ संबंधी मामले में यून सुक येओल को हिरासत में लेने और राष्ट्रपति कार्यालय की तलाशी लेने के लिए ‘सियोल वेस्टर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट’ ने वारंट जारी किया है.

राष्ट्रपति के आवास पर हजारों पुलिसकर्मी तैनात

तीन दिसंबर को यून द्वारा लगाया गया अल्पकालिक ‘मार्शल लॉ’ विद्रोह के समान था या नहीं इसकी जांच एजेंसी द्वारा की जा रही है. ऐसे में राष्‍ट्रपति यून के आवास के आस-पास हजारों पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. ऐसे में यदि यून को हिरासत में लिया जाता है तो भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी के पास जांच करने के लिए 48 घंटे का समय होगा. इसके बाद एजेंसी को या तो उनकी औपचारिक गिरफ्तारी के लिए वारंट का अनुरोध करना होगा या उन्हें रिहा करना होगा.

यून के वकील ने वारंट को बताया अवैध

वहीं, यून के वकील यून कैप-क्यून ने कोर्ट द्वारा जारी वारंट को अवैध करार दिया है. वहीं, यून पूछताछ के लिए उपस्थित होने के जांच दल और सरकारी अभियोजकों के कई अनुरोधों को पहले टाल चुके हैं और उन्होंने अपने कार्यालयों की तलाशी की प्रक्रिया को भी बाधित किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण कोरिया में अल्पकालिक मार्शल लॉ लागू करने का आदेश देने पर ‘नेशनल असेंबली’ में 14 दिसंबर को राष्‍ट्रपति यून के खिलाफ लाया गया महाभियोग का प्रस्ताव पारित हो गया था. इसके बाद राष्ट्रपति के तौर पर यून की शक्तियां को तब तक के लिए निलंबित कर दिया गया जब तक कि संवैधानिक अदालत उन्हें पद से हटाने अथवा उनकी शक्तियों को बहाल करने का फैसला नहीं सुना देती.

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