Space War: चीन और रूस ने अंतरिक्ष में ऐसे डिवाइस लगाए हैं, जो सैटेलाइट्स को जाम कर सकते हैं. अमेरिकी स्पेस फोर्स ने ऐसा दावा किया है. इसके साथ ही चीन पर आरोप लगाया है कि वह अंतरिक्ष में अपने सैटेलाइट से डॉगफाइटिंग की ट्रेनिंग ले रहा है, जो सैन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं. इस खुलासे के बाद स्पेस में भविष्य की संभावित जंग को लेकर अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की चिंता बढ़ती जा रही है.
अंतरिक्ष में डॉगफाइटिंग
अमेरिकी स्पेस फोर्स के उप प्रमुख जनरल माइकल ए. गेटलाइन ने बताया कि चीन के 5 सैटेलाइट्स को एक-दूसरे के आसपास रफ्तार में घूमते हुए देखा गया है. इसे अंतरिक्ष में ‘डॉगफाइटिंग’ कहा जा रहा है, जो सैन्य उद्देश्यों के लिए बेहद खास रणनीति मानी जाती है. इनमें तीन Shiyan-24C और दो Shijian-6 05A/B सैटेलाइट शामिल हैं. इस गतिविधि से यह संकेत मिलते हैं कि चीन अपनी स्पेस वारफेयर क्षमताओं को बढ़ाने में लगा है, जो अमेरिका के लिए एक नई चुनौती बन सकता है.
स्पेस में चीन की शक्ति
चीन ने अंतरिक्ष को शांति के उद्देश्य से उपयोग करने की बात कही है, लेकिन साल 2019 में जारी किए गए उसके राष्ट्रीय रक्षा श्वेत पत्र में यह भी उल्लेख किया गया था कि चीन स्पेस में अपने हितों को सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाएगा. अमेरिका लंबे समय से चीन की बढ़ती स्पेस टेक्नोलॉजी पर नजर रखे हुए है, जिसमें ऐसे सिस्टम भी शामिल हैं, जो दूसरे देशों के सैटेलाइट्स को बाधित कर सकते हैं.
एक्सपर्ट का कहना है कि उपग्रहों के बीच करीबी संपर्क वाली ये गतिविधियां रेंडेजवस एंड प्रॉक्सिमिटी ऑपरेशंस (RPOs) के तहत आती हैं. इनका उपयोग उपग्रहों की मरम्मत, अंतरिक्ष के मलबे को हटाने जैसी शांतिपूर्ण गतिविधियों में किया जा सकता है, लेकिन इन्हें दुश्मन के सैटेलाइट्स को निष्क्रिय करने या नष्ट करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
रूस भी कर चुका है ये खेल
अमेरिका और रूस पहले भी इस तरह के उपग्रह परीक्षण कर चुके हैं, लेकिन हाल ही में चीन के बढ़ते सैन्य अभियानों से अमेरिका ज्यादा परेशान है. रिपोर्ट के मुताबिक, चीन और रूस ने जैमर, एंटी-सैटेलाइट लेजर और ग्रैपलिंग टेक्नोलॉजी जैसे सिस्टम अंतरिक्ष में तैनात किए हैं, जो वैश्विक सामरिक संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं.
जनरल गेटलाइन ने चेतावनी दी कि चीन और रूस की बढ़ती क्षमताओं के वजह से अब अमेरिका की बढ़त धीरे-धीरे कम हो रही है. गेटलाइन का कहना है कि यह अब तक का सबसे जटिल रणनीतिक माहौल है और अमेरिका को अपनी अंतरिक्ष रक्षा क्षमताओं को तेजी से मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि किसी भी संभावित खतरे का जवाब दिया जा सके.
अंतरिक्ष में शक्ति प्रदर्शन
यदि अंतरिक्ष में सैन्य तकनीक पूरी तरह विकसित हो गई, तो यह संचार प्रणालियों, मिसाइल चेतावनी सिस्टम और वैश्विक नेविगेशन नेटवर्क को बाधित कर सकती है. इसका प्रभाव बैंकिंग, शिपिंग और आपातकालीन सेवाओं जैसी नागरिक सुविधाओं पर भी देखने को मिल सकता है.
ये भी पढ़ें :- दिल्ली: अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों पर एक्शन, पुलिस ने 18 को पकड़ा