SpaceX New Project: अरबपति स्पेसएक्स के सीईओ और अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में अहम भूमिका निभाने जा रहे एलन मस्क (Elon Musk) ने स्पेस ट्रैवल (Space Travel) को लेकर एक बड़ी घोषणा की है. मस्क ने कहा है कि स्पेसएक्स की महत्वाकांक्षी अर्थ-टू-अर्थ अंतरिक्ष यात्रा परियोजना जल्द ही वास्तविकता में बदल जाएगी, अरबपति मस्क ने कहा, उनकी कंपनी स्पेसएक्स के स्टारशिप रॉकेट के जरिए एक घंटे से भी कम समय में धरती के प्रमुख शहरों के बीच यात्रियों को ले जाना संभव होगा.
10 साल पहले ही दिया था प्रस्ताव
एलन मस्क ने बताया कि ये प्रोजेक्ट उनका बेहद पुराना सपना है. उनकी कंपनी ने इस प्रोजेक्ट का प्रस्ताव 10 साल पहले ही रखा था तब इस पर ज्यादा काम नहीं पाया था. इसे दुनिया का सबसे का पॉवरफुल रॉकेट माना जाता है. अब अमेरिका में नई सरकार आने के बाद संभावना है कि इसे हकीकत में बदला जा सके. मस्क ने कहा, उनकी कंपनी स्पेसएक्स रॉकेट के जरिए लोगों को यात्रा कराएगी, जिससे एक घंटे से भी कम समय में धरती के प्रमुख शहरों के बीच यात्रा की जा सकेगी.
एलन मस्क ने एक्स पर किया दावा
मस्क ने ये दावा 6 नवम्बर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक यूजर के पोस्ट किए गए वीडियो का जवाब देते हुए किया था. एक्स यूजर ने सुझाव दिया कि स्पेसएक्स को ट्रंप प्रशासन के दौरान कुछ वर्षों के भीतर स्टारशिप को अर्थ-टू-अर्थ उड़ाने के लिए संघीय विमानन प्रशासन से मंजूरी मिल सकती है.
महज 30 मिनट में कहीं भी पहुंच जाएंगे
वीडियो में बताया गया था कि अब लंबी दूरी की यात्रा करने में महज 30 मिनट से भी कम समय लगेगा. एक घंटे में दुनिया के किसी भी देश या शहर में आसानी से पहुंचा जा सकेगा. इसी पोस्ट का जवाब देते हुए मस्क नेकहा था कि हां, ऐसा हो सकता है, क्योंकि स्पेसएक्स ने ऐसी तकनीक ईजाद की है, जिसमें स्टारशिप कक्षा में लॉन्च होने के बाद अंतरिक्ष की गहराई में जाने के बजाय पृथ्वी के समानांतर यात्रा कर सकता है. इससे दुनिया भर के देशों के बीच तेज परिवहन संभव है. ये स्टारशिप 395 फीट लंबा होगा, जिसमें एक साथ 1000 लोग यात्रा कर सकेंगे.
वहीं, डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेसएक्स ने दावा किया है कि लॉस एंजेल्स और टोरंटो के बीच यात्रा का 24 मिनट, लंदन और न्यूयॉर्क के बीच 29 मिनट, जबकि दिल्ली और सैन फ्रांसिस्को के बीच 30 मिनट जितना कम हो सकता है. यात्रियों को टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान गुरुत्वाकर्षण बल का अनुभव होगा. वहीं, उड़ान के दौरान कम गुरुत्वाकर्षण होगा, जिससे यात्रियों को सीट बेल्ट लगाए रखने की जरूरत होगी.