International News: श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने भारत की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्धता दिखाई है. उन्होंने आश्वासन दिया है कि श्रीलंका सरकार अपने देश में किसी भी ऐसे काम को अनुमति नहीं देगी, जिससे हिंदुस्तान को नुकसान पहुंचे. श्रीलंकाई विदेश मंत्री ने कहा कि निश्चित रूप से हम बहुत पारदर्शी तरीके से सभी देशों के साथ काम करना चाहेंगे.
दरअसल, श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने भारत के सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए अपने देश की प्रतिबद्धता दिखाई है. उन्होंने कहा कि श्रीलंका भारत का जिम्मेदार पड़ोसी होने के नाते किसी भी ऐसे काम की अनुमति नहीं देगी, जिससे भारत की सुरक्षा को नुकसान पहुंचे. उन्होंने यह भी कहा कि हम सभी देशों के साथ काम करना चाहते हैं, लेकिन भारतीय सुरक्षा के संबंध में किसी भी उचित चीजों को ध्यान में रखा जाएगा.
वहीं, श्रीलंकाई बंदरगाहों पर चीनी अनुसंधान जहाजों की यात्राओं के बारे में चिंताओं को संबोधित करते हुए साबरी ने कहा कि वो अन्य देशों के साथ पारदर्शी तरीके से काम करना चाहेंगे, लेकिन दूसरों की कीमत पर नहीं.
चीन भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर
श्रीलंकाई विदेश मंत्री अली साबरी ने भारत चीन के ट्रेडिंग को लेकर कहा, “हम चीन भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बन गया है. जैसे भारत चीन के साथ काम करता है. वैसे ही हम भी सभी के साथ काम करना चाहेंगे. लेकिन यह किसी और कीमत पर नहीं होना चाहिए, किसी तीसरे पक्ष को इसकी कीमत नहीं चुकानी चाहिए. इसलिए मैं दोहराना चाहता हूं कि एक जिम्मेदार पड़ोसी और एक सिविलाइजेशन पार्टनर के रूप में हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे भारत की सुरक्षा को नुकसान पहुंचे.”
इस वजह भारत रहता है चिंतित
गौरतलब है कि चीन श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट को 99 साल के लिए लीज पर ले रखा है. चीन साल 2017 से इसे चला रहा है. इस बंदरगाह को बनाने के लिए श्रीलंका ने चीन के एक फर्म को 1.4 अरब का भुगतान किया था. यह पैसा भी चीनी कर्ज से आया था. चीन ने 1.12 अरब डॉलर में 99 साल की लीज पर लिया है. इस बंदरगाह की दूरी भारत के दक्षिणी राज्यों से महज कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है. यही वजह है कि भारत इसको लेकर चिंतित रहता है.
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