Sri Lanka: श्रीलंका में 21 सितंबर को राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला है. इस बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने एक इंटरव्यू में चीन को लेकर कहा कि चीन के साथ श्रीलंका अच्छे संबंधों को जारी रखेगा. आगे उन्होंने ये भी कहा कि भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए वह चीन के साथ काम करेगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चीन का हिंद महासागर क्षेत्र में प्रभाव बढ़ रहा है.
चीन पर क्या कहा?
एनडीटीवी के साथ इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘आर्थिक संबंधों को गहरा करना हमारी प्राथमिकता है. खासकर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं मे. भारत और चीन दोनों देशों के हजारों सालों से सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध हैं. चीन को लेकर उन्होंने कहा, ‘चीन से हमारे अच्छे संबंध हैं और हम इसे जारी रखेंगे. लेकिन हम पहले अपना हित देंखेगे.’ इसके आगे उन्होंने जोर देते हुए कहा कि चीन के साथ संबंध में यह भी देखेंगे कि भारत की सुरक्षा प्रभावित न हो.
रानिल विक्रमासिंघे का कहना है कि श्रीलंका चीन के साथ काम करता रहेगा, लेकिन भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी शर्तों पर काम करेगा. उन्होंन कहा कि आखिरकार हम भारत से मात्र 32 किलोमीटर की दूरी पर हैं.’ वहीं चीन को एक लीडिंग ग्लोबल पावर कहते हुए विक्रमसिंघे ने कहा कि ‘चीन का हिंद महासागर क्षेत्र में प्रभाव बढ़ने जा रहा है, क्योंकि वह पहले से ही कई देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है.’
भारत विरोधी बयानों पर बोले…
रानिल विक्रमसिंघे के विरोधियों ने भारत विरोधी बयान दिए हैं. भारत विरोधी बयानों को लेकर विक्रमसिंघे ने कहा कि कुछ समूह होंगे जो भारत विरोधी टिप्पणी करेंगे. इसे रोका नहीं जा सकता. लेकिन उद्देश्य इसे कम करना है. जहां तक भारत-श्रीलंका के दोस्ती की बात है तो यह दोनों देशों के लोगों पर है और वह पहले ही निर्णय ले चुके हैं. दोनों देशों के हजारों सालों से आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध हैं.
राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे का बयान ऐसे समय में आया है जब 21 सितंबर को श्रीलंका में राष्ट्रपति का चुनाव होना है. राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने पद ऐसे समय में संभाला था, जब श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक दौर से गुजर रहा था. उनकी सरकार अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने में सफल रही. 2022 में श्रीलंका ने अपने सबसे खराब आर्थिक संकट को देखा था. पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे थे. हालात ऐसे हो गए थे कि भीड़ राष्ट्रपति के महल में घुस गई. तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग गए. इस दौरान भारत श्रीलंका की मदद को आगे आया.
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