Sudan में आरएसएफ ने नई सरकार और राष्ट्रपति परिषद बनाने का किया ऐलान, बताया आगे का पूरा प्लान

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Sudan Crisis: सूडान में लंबे समय से गृहयुद्ध जारी है, इसी बीच अब सूडानी सेना से लड़ रहे कुख्यात अर्धसैनिक समूह रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) ने अपनी सरकार बनाने का ऐलान किया है. इस मामले में आरएसएफ के कमांडर जनरल मोहम्मद हमदान डागालो ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर ऐलान किया कि आरएसएफ अब उन इलाकों में सरकार चलाएंगे जो उनके कब्जे में हैं, जिसमें पश्चिमी दारफुर क्षेत्र भी शामिल है.

हमदान डागालो ने कहा कि हम एक नई सरकार बना रहे हैं, जो शांति और एकता को बढ़ावा देगी. साथ ही उन्‍होने ये भी बताया कि इस फैसले में दूसरे गुट भी उनके साथ जुड़े हैं, जैसे- सूडान लिबरेशन मूवमेंट का एक धड़ा, जो कोर्डोफन इलाके में सक्रिय है.

15 सदस्यीय राष्ट्रपति परिषद बनाने का ऐलान

 डागलो ने बताया कि वो एक 15 सदस्यीय राष्ट्रपति परिषद बनाएंगे, जो पूरे सूडान का प्रतिनिधित्व करेगी. आरएसएफ ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब हाल ही में कई बड़े शहरों, जैसे राजधानी खार्तूम में उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में अब वो फिर से दारफुर क्षेत्र में संगठित हो रहे हैं. बता दें कि अमेरिका ने डागालो पर दारफुर में नरसंहार जैसे गंभीर आरोपों के चलते पहले ही प्रतिबंध लगा रखे हैं.

दारफुर में 400 लोगों की मौत

सूत्रों के मुताबिक, डागलो के इस एलान से कुछ दिन पहले ही आरएसएफ और उसके सहयोगियों ने उत्तरी दारफुर में दो शरणार्थी शिविरों पर हमला किया, जिसमें चार सौ से अधिक लोग मारे गए थें, जिनमें 12 सहायता कर्मी और कई बच्चे शामिल थे. वहीं, एक अन्‍य रिपोर्ट के मुताबिक, जमजम और अबू शौक शिविरों पर हुए हमलों के कारण 4 लाख लोग भागने पर मजबूर हुए. वहीं, अब इन इलाकों में किसी तरह का मदद पहुंचाना लगभग नामुमकिन हो गया है.

क्‍या है पूरा मामला? 

बता दें कि सूडान में 15 अप्रैल 2023 से सेना और आरएसएफ के बीच गृहयुद्ध चल रहा है, जिसमें अब तक 24,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, जबकि करीब 1.3 करोड़ से ज्यादा लोगों को विस्थापित होना पड़ा है. इस दौरान कई इलाकें अकाल की कगार पर पहुंच चुके हैं. इस संघर्ष में सामूहिक दुष्कर्म, जातीय हिंसा, और युद्ध अपराध की जैसी घटनाएं सामने आई हैं. हालांकि अमेरिका और दूसरे देश आरएसएफ की समानांतर सरकार के इस कदम को खारिज कर चुके हैं. उनका कहना है कि इससे शांति नहीं, बल्कि और अस्थिरता फैलेगी.

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