Sudan Crisis: सूडान में खूनी संघर्ष थमने का नाम नहीं लें रहा है. 16 महीनों से सूडान की सेना और अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) में जंग जारी है. गृहयुद्ध से सुडान में लाखों लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है. जंग के बाद से ही देश में 25 मिलियन से अधिक लोग यानी आधी से अधिक आबादी भुखमरी का सामना कर रही है. देश में विस्थापन और मूलभूत सुविधाओं की कमी अपने चरम पर है. हालात सुधरने के अभी आसार नहीं दिख रहे हैं. अमेरिका की ओर से 14 अगस्त को स्विट्जरलैंड में शुरू की गई शांति वार्ता भी नाकाम हो गई है.
इसी बीच सूडान के सेना प्रमुख ने चिंता बढ़ाने वाली बात कह दी है. सूडानी सेना के प्रमुख अब्देल फत्ताह अल-बुरहान ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार स्विट्जरलैंड में प्रतिद्वंद्वी अर्धसैनिक बलों के साथ शांति वार्ता का हिस्सा नहीं बनेंगे. वे रुकेंगे नहीं, वे आगे 100 साल तक लड़ने की कसम भी खाई.
100 साल तक लड़ेंगे
पोर्ट सूडान में मीडिया से बात करते हुए सूडान सेना प्रमुख बुरहान ने कहा कि हम जिनेवा नहीं जाएंगे… हम 100 साल तक लड़ेंगे.” दरअसल, अमेरिका ने 14 अगस्त को जिनेवा में सुडान में मानवीय संकट और स्थायी युद्ध विराम के उद्देश्य से वार्ता शुरू की. इस वार्ता में आरएसएफ प्रतिनिधिमंडल तो आया, लेकिन सूडानी सशस्त्र बल शामिल नहीं हुए. सूडान सेना ने इस वार्ता के फॉर्मेट पर नाराजगी जताई थी. हालांकि वे मध्यस्थों के साथ फोन पर संपर्क में रहे.
बिना सीजफायर डील के वार्ता हुई खत्म
स्विट्जरलैंड में हुए वार्ता में विश्व की कई बड़ी शक्तियां शामिल हुई हैं, जिनमें सऊदी अरब, स्विट्जरलैंड, अफ्रीकी संघ, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात और UN एजेंसी ALPS प्रमुख थे. यह वार्ता बिना किसी संघर्ष विराम समझौते के शुक्रवार को संपन्न हुई, लेकिन देश में दो प्रमुख मार्गों पर मदद पहुंचाने के लिए विश्व शक्तियां दोनों पक्षों को मना पाई. सूडान में चल रहा गृहयुद्ध दुनिया का सबसे भयानक मानवीय संकट पैदा कर दिया है. इस युद्ध ने पांच में से एक सदस्य को अपने घरों से भागने के लिए मजबूर किया है, जबकि हजारों लोगों ने जान गंवाई है.
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