दो दिनों में 1000 लोगों की हत्याएं, हर तरफ शव ही शव…, सीरिया में चल रहा खूनी खेल, जानिए पूरी डिटेल

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Syrian: सीरिया में एक बार फिर से खूनी जंग छिड़ गई है. ऐसे में अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद के समर्थको और सुरक्षा बलों के बीच दो दिन से प्रतिरोधी संघर्ष जारी है, जिसमें अब तक 1,000 से अधिक लोग मारे जा चुके है. मानवाधिकार संगठन के मुताबिक,इस हिंसा में मारे गए लोगों में 745 नागरिक शामिल है.

बता दें कि 14 साल पहले सीरिया में शुरू हुए संघर्ष के बाद से यह हिंसा की सबसे घातक घटनाओं में से एक है. ब्रिटेन के मानवाधिकार संगठन ‘सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स’ ने बताया कि 745 नागरिकों के अलावा, सरकारी सुरक्षा बलों के 125 सदस्य और अपदस्थ राष्ट्रपति बशर अल-असद से संबद्ध सशस्त्र समूहों के 148 चरमपंथी भी मारे गए.

बिजली और पेयजल आपूर्ति बाधित

मानवाधिकार संगठन के मुताबिक, इस दौरान तटीय शहर लताकिया के आसपास के बड़े इलाकों में बिजली और पेयजल आपूर्ति बाधित हो गई है साथ ही कई बेकरी भी बंद हो गई हैं. 7 मार्च को शुरू हुई यह झड़प दमिश्क की नई सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरी है. हालांकि सरकार का कहना है कि वो असद के समर्थकों द्वारा किए गए हमलों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं.

सीरिया की नई सरकार ने बड़े पैमाने पर हुई इस हिंसा के लिए ‘‘अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा की गई कार्रवाइयों’’ को जिम्मेदार ठहराया. बता दें कि सीरिया में हालिया झड़पें उस वक्‍त शुरू हुई, जब सुरक्षा बलों ने गुरुवार को तटीय शहर जबलेह के पास एक वांछित व्यक्ति को हिरासत में लेने की कोशिश की. इस दौरान असद के समर्थको ने उन पर घात लगाकर हमला किया.

हयात तहरीर अल-शाम के लिए झटका

दरअसल, सीरिया की नई सरकार के समर्थक सुन्नी मुस्लिम बंदूकधारियों ने शुक्रवार को असद के अल्पसंख्यक अलावी समुदाय के लोगों की हत्याएं शुरू की थीं, जिसके बाद से दोनों के बीच झड़पें जारी हैं, जो हयात तहरीर अल-शाम के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि इसी धड़े के नेतृत्व में विद्रोही समूहों ने असद के शासन का तख्तापलट कर दिया था.

घर के दरवाजें पर ही मारी गई गोलियां

इसके अलावा, गांवों और कस्बों के लोगों ने बताया कि बंदूकधारियों ने अलावी समुदाय के अधिकांश पुरुषों को सड़कों पर या उनके घरों के दरवाजे पर ही गोली मारी. हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित कस्बों में से एक बनियास के निवासियों ने कहा कि शव सड़कों पर बिखरे पड़े थे या घरों और इमारतों की छतों पर पड़े थे और उन्हें उठाकर दफनाने के लिए कोई नहीं था.

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