Tahawwur Rana Extradition: अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट 26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा की उस नई याचिका पर अगले महीने सुनवाई करेगा, जिसमें उसने भारत प्रत्यर्पित किए जाने की प्रक्रिया पर रोक की मांग की है. उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स के समक्ष नई याचिका दायर की गई है.
पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक तहव्वूर राणा (64) लॉस एंजिलिस के ‘मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर’ में बंद हैं. सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित एक आदेश में कहा गया है कि राणा के नवीनीकृत आवेदन पर सुनवाई के लिए 4 अप्रैल 2025 की तारीख तय की गई है और आवेदन को न्यायालय को भेजा गया है.
राणा की याचिका में क्या है?
आतंकी तहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पित किए जाने से बचने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उसने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के ‘एसोसिएट जस्टिस’ और ‘नाइन्थ सर्किट’ के ‘सर्किट जस्टिस’ एलेना कागन के सामने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक लगाने के लिए आपात आवेदन प्रस्तुत किया था.
मार्च महीने की शुरुआत में कागन ने आवेदन अस्वीकार कर दिया था. इसके बाद राणा ने पहले न्यायमूर्ति कागन के सामने पेश ‘‘बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक लगाने संबंधी अपनी आपात अर्जी’’ नवीनीकृत की और इसे मुख्य न्यायाधीश रॉबर्ट्स के समक्ष पेश किए जाने का अनुरोध किया.
पहले खारिज हो चुकी है याचिका
न्यूयॉर्क के मशहूर भारतीय-अमेरिकी वकील रवि बत्रा ने बताया कि राणा ने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय में आवेदन दिया था. इस आवेदन को न्यायमूर्ति कागन ने 6 मार्च को खारिज कर दिया था. उन्होंने कहा कि यह आवेदन अब ‘चीफ जस्टिस’ रॉबर्ट्स के समक्ष पेश किया गया है.
रवि बत्रा ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि चीफ जस्टिस रॉबर्ट्स, राणा को अमेरिका में रहने और भारत में न्याय का सामना करने से बचने के अधिकार से वंचित करने का फैसला सुनाएंगे. बत्रा ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी की ओवल में मुलाकात के बाद, राष्ट्रपति ट्रंप ने संवाददाता सम्मेलन में ऐलान किया था कि राणा को भारत प्रत्यर्पित किया जाएगा.
भारत आने से डर रहा राणा
अपनी आपात अर्जी में तहव्वूर राणा ने मुकदमा लंबित रहने तक भारत के सामने आत्मसमर्पण और अपने प्रत्यर्पण पर 13 फरवरी की याचिका के गुण-दोष के आधार पर रोक लगाने की मांग की थी. उस याचिका में राणा ने तर्क दिया था कि उसे भारत प्रत्यर्पित किया जाना अमेरिकी कानून और यातना के विरुद्ध ‘संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन’ का उल्लंघन है, क्योंकि यह मानने के पर्याप्त आधार हैं कि अगर उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया तो याचिकाकर्ता (राणा) को यातना दिए जाने का खतरा होगा. तहव्वुर ने कहा था कि अगर उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया तो उसे प्रताड़ित किया जाएगा और वह वहां ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रह पाएगा.
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