लोकतंत्र की जरूरत नहीं… अफगानिस्तान में तालिबान प्रमुख ने की शरिया कानून की वकालत

Raginee Rai
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Afghanistan: अफगानिस्तान में तालिबान प्रमुख ने ईद के मौके पर लोकतंत्र को लेकर बड़ी बात कही है. तालिबानी नेता हिबतुल्‍लाह अखुंदजादा ने कंधार की ईदगाह मस्जिद में घोषणा की कि देश में पश्चिमी देशों के कानून (लोकतंत्र) की कोई जरूरत नहीं है. यहां जैसे-जैसे शरिया कानून लागू हो रहा है वैसे-वैसे लोकतंत्र खत्म होता जाएगा.

हिबतुल्लाह का 50 मिनट का ऑडियो तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर शेयर किया था. हिबतुल्‍लाह ने पश्तो में बोलते हुए इस्लामी कानूनों के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों के कानून की कोई आवश्‍यकता नहीं है. हम अपने खुद के कानून बनाएंगे.

महिलाओं पर लगाए गए कई सारे रोक

बता दें कि तालिबान ने शरिया के कानूनों के वजह से अफगान महिलाओं और लड़कियों पर कई सारे रोक लगा दिए गए हैं. महिलाओं पर रोक के चलते उनकी पढ़ाई, नौकरियों और अधिकतर सार्वजनिक स्थानों पर जाने से मना कर दिया गया है. इस तरह के फैसलों ने तालिबान को विश्व मंच पर अलग-थलग कर दिया है. इसके अलावा उन्होंने चीन और संयुक्त अरब अमीरात समेत देशों के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए हैं.

अमेरिका को लेकर बोले हिबतुल्‍लाह प्रमुख

हिबतुल्‍लाह अखुंदज़ादा ने पश्चिमी देशों के कानूनों की आलोचना करते हुए कहा कि गैर मुस्लिम, मुसलमानों के खिलाफ़ एकजुट हो गए हैं. अमेरिका और दूसरे देश इस्लाम के प्रति अपनी अलग राय बनाने में एकजुट हैं. उन्होंने गाजा में हमास और इज़राइल युद्ध का जिक्र भी किया. उन्होंने कहा कि अफ़गानिस्तान में लोकतंत्र खत्म हो गया है और शरिया लागू है.

लोकतंत्र के समर्थक लोगों को तालिबान सरकार से अलग करने का प्रयत्‍न कर रहे हैं. तालिबान के पास देश के अंदर या बाहर कोई विश्वसनीय विपक्ष नहीं है. फिलहाल, वहां के प्रशासन के अंदर कुछ वरिष्ठ लोगों ने अखुंदज़ादा की निगरानी में सत्ता के केंद्रीकरण की आलोचना की है.

अमेरिका और तालिबान में बढ़ा जुड़ाव

कुछ तालिबानी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ ज्यादा जुड़ाव रखना चाहते हैं. यहां ज्यादातर बाहरी समर्थन आकर्षित करने के लिए कठोर नीतियों को खत्म करना चाहते हैं. हालांकि, पिछले कुछ महीनों में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के अनुसार, तालिबान और अमेरिका के बीच जुड़ाव बढ़ा है. इसके पीछे कारण है, ज्यादातर कैदियों की रिहाई. बता दें कि 2021 में तालिबान के अफगानिस्तान पर अपना कब्‍जा जमाने के बाद हिबतुल्‍लाह अखुंदज़ादा ने नीति निर्देशन में मज़बूती से हाथ बढ़ाया है, हालांकि कुछ अधिकारियों ने शुरू में कहा था कि यहां पर समानता से उदारता से शासन किया जाएगा.

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