लगातार जारी है तिब्बत-चीन के बीच बातचीत, पहले अमेरिका बना चुका है बीजिंग पर दबाव

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Tibet China talks: चीन और तिब्बत की निर्वासित सरकार की आपस बातचीत जारी है. हालांकि, सबसे खास बात है कि ये वार्ता पर्दे के पीछे बातचीत जारी है. बताया जा रहा है कि दोनों के बीच में पिछले महीने बातचीत हुई थी. दोनों के बीच ये वार्ता ऐसे समय पर हो रही है जब कुछ ही दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक विधेयक पर हस्ताक्षर किए थे. इस विधेयक का मुख्य उदेश्य था कि तिब्बत की अधिक स्वायत्तता की मांग पर बातचीत की जाए और बीजिंग पर दबाव बनाने का काम किया जाए.

जानकारी दें कि तिब्बत की निर्वासित सरकार के राजनीतिक प्रमुख या सिक्योंग पेनपा शेरिंग ने विगत बुधवार को कहा कि पिछले दौर की वार्ता इस महीने की शुरुआत में हुई थी. इसी के साथ आगे उन्होंने कहा था कि तिब्बती पक्ष दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य के साथ पर्दे के पीछे की वार्ता में शामिल हो रहा है. इतना ही नहीं उन्होंने चीन की जिनपिंग वाली सरकार से कोई खास उम्मीद नहीं की है.

सिक्योंग पेनपा शेरिंग ने यह भी कहा था कि हम अल्पावधि के बारे में नहीं सोच सकते. हम केवल शी जिनपिंग के बारे में नहीं सोच सकते. वह कुछ समय के लिए रहेंगे और फिर चले जाएंगे. लेकिन हमें (बीजिंग के साथ) अपना संवाद जारी रखना होगा.

सबसे खास बात है कि अप्रैल के महीने में तिब्बत की निर्वासित सरकार ने चीन के साथ पर्दे के पीछे से होने वाली बातचीत की खबरों को खारिज कर दिया था. इतना ही नहीं यह भी कहा था कि वह केवल दलाई लामा के प्रतिनिधियों के साथ ही वार्ता करेगा. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सिक्योंग पेनपा शेरिंग ने कहा कि र्दे के पीछे बातचीत चल रही है. हालांकि चीन कभी उन्हें स्वीकार नहीं करता. स्वीकार न करना उनकी नीति है.

गौरतलब है कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के प्रतिनिधियों और चीनी सरकार के बीच साल 2002 से 2010 तक कुल 9 दौर की बातचीत हुई थी. बावजूद इसके इस बातचीत का कोई खास परिणाम नहीं निकला था. उसके बाद कोई औपचारिक बाचचीत नहीं हुई थी.

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