Tejas engine Deal: भारतीय सेना लगातार अपने ताकतों को और भी बढ़ाने में जुटी हुई है. ऐसे में ही भारतीय वायुसेना तेजस लड़ाकू विमानों का निर्माण कर रही है, हालांकि इसका इंजन अमेरिका द्वारा दिया जाना था, इसके लिए भारत और अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक के बीच साल 2021 में डील भी हुआ था, लेकिन अब तक कंपनी द्वारा इसकी डिलीवरी नहीं की गई है.
तेजस लड़ाकू विमान के इंजन की सप्लाई में देरी होने का प्रभाव भारतीय वायुसेना पर पड़ रहा है, जिससे भारत-अमेरिका के रक्षा संबंधों में एक नया मोड़ ले रहा है. अमेरिकी कंपनी द्वारा समय पर इंजन नहीं देने के चलते भारतीय वायु सेना को नई रणनीति अपनानी पड़ी है. ऐसे में भारतीय वायुसेना अपने पुराने रिजर्व इंजनों के साथ परीक्षण जारी रखना पड़ा है. इससे सिर्फ लड़ाकू क्षमता ही प्रभावित नहीं हुई है, बल्कि सैन्य तैयारियों में भी देरी हो रही है.
देरी के कारण और भारत की प्रतिक्रिया
अमेरिकी कंपनी GE द्वारा तेजस लड़ाकू विमान के इंजन की मार्च 2023 में डिलीवरी शुरू होनी थी, लेकिन इसके एक और साल की देरी के बाद अब अप्रैल 2025 मि मिलने की उम्मीद है. हालांकि इस बार भारत सरकार ने GE पर जुर्माना भी लगाया है. भारत ने साफ साफ कहा है कि अनुबंध का पालन न होने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने GE से की मांग
दरअसल, हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका दौरे पर इस मुद्दे को प्राथमिकता से उठाया था. वहीं, अमेरिकी कंपनी GE का दावा है कि दक्षिण कोरियाई सप्लायर से आपूर्ति में परेशानी होने के कारण यह देरी हुई है. हालांकि इससेस निपटने के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय ने GE से तकनीकी हस्तांतरण की मांग की है, जिससे भारत में ही इंजन का निर्माण किया जा सके.
ऐसे में यह भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है. भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ाने संभवत: प्रयास किए है. तेजस परियोजना पर इस देरी का प्रभाव भारत की सैन्य तैयारियों पर पड़ता हुआ नजर आ रहा है.
भारत की सैन्य तैयारियों पर देरी का प्रभाव
दरअसल, भारतीय वायु सेना ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को कई तेजस विमानों का आदेश दिया है, लेकिन समय से इंजन न मिलने की वजह से परियोजना प्रभावित हो रही है. वहीं, HAL के पास अभी 5 से 6 विमानों के निर्माण की क्षमता है, जो अगले साल तक 24 विमानों तक पहुंच सकती है. फिलहाल ये सब अमेरिकी कंपनी GE की समय पर आपूर्ति पर निर्भर करता है.
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