Telecom Fraud: टेलिकॉम फ्रॉड को लेकर भारत सरकार काफी सख्त कार्रवाई कर रहा है. शुक्रवार को भारत सरकार ने बताया कि इससे निपटने के प्रयासों के तहत सरकार द्वारा संचार साथी पोर्टल के जरिये अब तक 3.4 करोड़ से ज्यादा मोबाइल फोन डिस्कनेक्ट किए जा चुके हैं. जबकि 3.19 लाख आईएमईआई नंबर ब्लॉक किए गए हैं.
वहीं, दूरसंचार विभाग (DoT) ने बताया कि एआई और बिग डेटा की मदद से उसने 16.97 लाख व्हाट्सएप अकाउंट भी बंद कर दिए हैं. बता दें कि DoT धोखाधड़ी संचार की रिपोर्ट का विश्लेषण करता है और दुरुपयोग से संबंध पाये जाने वाले दूरसंचार संसाधनों के खिलाफ कार्रवाई करता है.
चक्षु पोर्टल पर मिलती है ये सुविधा
इसी बीच संचार और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासनी चंद्रशेखर ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर कहा कि दूरसंचार विभाग की संचार साथी पहल के तहत 20,000 से अधिक बल्क एसएमएस भेजने वालों को ब्लैकलिस्ट किया गया है. इसके साथ ही संचार साथी पोर्टल के जरिए सरकार नागरिकों को चक्षु सुविधा पर संदिग्ध धोखाधड़ी संचार की रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान करती है.
एआई-आधारित टूल का उपयोग
राज्यमंत्री चंद्रशेखर ने ये भी बताया कि व्यक्तिगत रूप से रिपोर्ट किए गए संदिग्ध धोखाधड़ी संचार पर कार्रवाई करने के बजाय, दूरसंचार विभाग विश्लेषण करने और दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग पर ध्यान केंद्रित करने के लिए क्राउडसोर्स किए गए डेटा का उपयोग करता है. उन्होंने बताया कि विभाग नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके प्राप्त संदिग्ध मोबाइल कनेक्शनों की पहचान करने के लिए एआई-आधारित टूल और बड़े डेटा विश्लेषण का उपयोग करता है.
1150 संस्थाओं/व्यक्तियों को किया ब्लैकलिस्ट
सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने 1150 संस्थाओं/व्यक्तियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है, 18.8 लाख से अधिक संसाधनों को काट दिया है. सरकार की इन कार्रवाइयों के चलते अपंजीकृत टेलीमार्केटर्स (UTM) के खिलाफ शिकायतों में कमी देखने को मिली है.
किये गए संशोधन
इसके अलावा, TRAI ने 12 फरवरी को दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियम (TCCCPR), 2018 में संशोधन किया है. ऐसे में अब ग्राहक स्पैम या अनचाहे वाणिज्यिक संचार (UCC) के बारे में शिकायत प्राप्त होने के सात दिनों के अंदर ही दर्ज करा सकते है, जबकि इससे पहले ये समयावधि तीन दिन की थी. इन संशोधनों के तहत अपंजीकृत प्रेषकों से UCC के खिलाफ एक्सेस प्रदाताओं की ओर से कार्रवाई करने की समय सीमा 30 दिनों से घटाकर 5 दिन कर दी गई है.
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