अमेरिका में तेजी से फैल रहा ‘Triple E’ Mosquito Virus, संक्रमित व्यक्ति की चली जाती है जान!

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Triple E’ Mosquito Virus: विश्व भर के कई देशों में जहां डेंगू पांव पसार रहा है, वहीं अमेरिका में इस साल मच्छरों की वजह से फैलने वाले दुर्लभ वायरस का प्रकोप देखने को मिल रहा है. इस दुर्लभ वायरस के कारण एक व्यक्ति की मौत की भी पुष्टी हुई है. पिछले एक दशक में ऐसा कोई मामला नहीं आया था. हालांकि, इस साल अमेरिका में ट्रिपल ई (EEE) वायरस के संक्रमण का यह पांचवां मामला है. भले ही यह वायरस अत्यधिक रेयर है, लेकिन जानलेवा भी है.

अमेरिका प्रशासन ने बताया कि न्यू हैंपशायर, मैसाच्युसेट्स समेत आसपास के कुछ राज्यों में मच्छर जनित ट्रिपल ई वायरस का संक्रमण फैला हुआ है. इन सभी राज्यों में अलर्ट जारी किया गया है. आइए आपको बताते हैं कि यह वायरस क्या है…

जानिए क्या है EEEV?

दरअसल, EEEV यानी ईस्टर्न एक्विन इंसेफलाइटिस वायरस को सामान्य भाषा में ट्रिपल ई बुलाया जाता है. इस वायरस की खोज साल 1938 में हुई थी. यह वायरस काफी दुर्लभ है, हालांकि, खतरनाक है. उस समय से लेकर अब तक न्यू हैंपशायर में 118 लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. इस वायरस के कारण 64 लोगों की मौत हो चुकी है. इंसानों में यह वायरस सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर हमला करता है. जिसकी वजह से दिमाग में सूजन आ जाती है. दर्द होता है.

पहली बार कहां मिला यह वायरस?

रिपोर्ट्स के अनुसार पहली बार इस वायरस को उत्तरी अमेरिका और कैरिबियन में पाया गया था. अमेरिका में यह सबसे पहले पूर्वी और खाड़ी के तटीय राज्यों के लोगों में मिला. येल यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एसोसिएट रिसर्च साइंटिस्ट वेरिटी हिल ने कहा कि यह कई तरह की पक्षियों की प्रजाति से मच्छरों में होते हुए इंसानों तक पहुंचता है. आम तौर पर इस वायरस को ब्लैक-टेल्ड मॉसक्वीटो (Black-Tailed Mosquito) लेकर घूमता है. अधिकांश पूर्वी अमेरिका, मेक्सिको और कैरिबियन में ही इसके मामले सामने आते हैं.

चूकी जंगलों के बीच मौजूद कीचड़ में रहने वाले पक्षियों में कई प्रकार के वायरस पाए जाते हैं. मच्छरों की कुछ प्रजातियां जो इंसानों और अन्य स्तनधारी जीवों को ट्रिपल ई वायरस से संक्रमित करते हैं. यह मच्छर कुछ संक्रमित पक्षियों को काटते हैं और वहां से खून के साथ वायरस ले लेते हैं. फिर इंसानों में इंजेक्ट कर देते हैं. पक्षियों की तुलना में इंसान और घोड़े इस वायरस का डेड-एंड होस्ट होते हैं. यानी इसके बाद वायरस किसी और तक नहीं पहुंचता. इसका मतलब होता है कि अगर किसी संक्रमित व्यक्ति को मच्छर दोबारा काटे तो वह यहां से इस संक्रमण को नहीं ले जा सकता है.

ट्रिपल ई वायरस से संक्रमण के लक्षण

जो व्यक्ति भी ट्रिपल ई वायरस से संक्रमित होता है, उसको बुखार, सिरदर्द, उल्टी आना, डायरिया, सीजर अटैक, व्यवहार में बदलाव, थकान, नींद लगे रहना, फोकस बिगड़ना जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है. कई बार गंभीर स्थिति होने पर दिमाग सूज जाता है. इसी को इंसेफलाइटिस कहते हैं. इसका पता करने के लिए लक्षणों को देखा जाता है. अमेरिका में इस साल ट्रिपल ई के 5 मामले सामने आ चुके हैं. मैसाच्युसेट्स, न्यूजर्सी, वरमॉन्ट, विसकॉन्सिन और न्यू हैंपशायर में इन मामलों की पुष्टी की गई है.

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