Trump Administration Revokes Student Visa: अमेरिका में इस समय विदेशी छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन हाल ही में ट्रंप प्रशासन द्वारा विदेशी छात्रों के वीजा निरस्तीकरण की घटनाओं ने उनकी चिंता बढ़ा दी है. दरअसल, कैलिफोर्निया में एक चीनी छात्रा लियू लिजुन का वीजा रद्द कर दिया गया क्योंकि उसने फिलिस्तीन समर्थक रैली में भाग लिया था. ऐसे में राजनीतिक सक्रियता में भाग लेने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए नए खतरा मंडराता हुआ नजर आ रहा है.
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 29 जनवरी को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किया था, जिसका मकसद कॉलेज परिसरों में यहूदी-विरोधी घटनाओं और फिलिस्तीन समर्थक सक्रियता को नियंत्रित करना है.
इस आदेश के मुख्य बिंदु
1.फिलिस्तीन समर्थक गतिविधियों में शामिल अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर कड़ी निगरानी.
2.शिक्षा, राज्य और होमलैंड सुरक्षा विभागों को विदेशी छात्रों की राजनीतिक गतिविधियों पर रिपोर्ट देने का अधिकार.
3.आवश्यकता पड़ने पर वीजा निरस्तीकरण या निर्वासन की कार्रवाई है.
इसी आदेश के तहत लियू लिजुन की वीजा रद्द किया गया है, जो इस मामले में पहली कार्रवाई मानी जा रही है. इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने कोलंबिया विश्वविद्यालय से $400 मिलियन की संघीय फंडिंग वापस ले ली, क्योंकि यह परिसर हाल के दिनों में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों का केंद्र बन गया था.
ट्रंप प्रशासन की आलोचना
हालांकि ट्रंप प्रशासन के इस कदम की डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और कांग्रेसमैन जेरी नैडलर ने कड़ी आलोचना की है. उनका कहना है कि यदि ट्रंप प्रशासन यहूदी-विरोधी भावना के बारे में इतना ही गंभीर होता, तो वे अपने रैंकों में बेबाक यहूदी-विरोधियों को शामिल नहीं करते.
क्या है अमेरिका का मुख्य उद्देश्य?
अमेरिका के इस कदम के बाद तर्क दिया जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन का असली मकसद यहूदी विरोध को खत्म करना नहीं, बल्कि विश्वविद्यालयों पर अपने एजेंडे को थोपना है. इसके अलावा, अमेरिकी विश्वविद्यालयों को वित्तीय दबाव में डालने की रणनीति से यह संकेत मिलता है कि राजनीतिक रूप से असहमत कैंपसों को आर्थिक रूप से कमजोर किया जा सकता है.
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