एक साथ आए तुर्किए, बांग्लादेश और पाकिस्तान, आखिर क्या है भारत के खिलाफ एर्दोगन का मास्टर प्लान?

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Turkey-Bangladesh Strategy: तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन की मंशा तुर्किए को इस्‍लामिक दुनिया का नेता बनाना है और ऐसे में उनका नजरें बांग्‍लादेश पर टिकी हुई है. दरअसल पांच अगस्‍त 2024 को शेख हसीना सरकार के पतन के बाद एर्दोगन को वहां अपना प्रभाव बढ़ाने का मौका मिलता हुआ दिख रहा है.

दरअसल तुर्किए अब बांग्‍लादेश में भारत की घटती हुई भूमिका का लाभ उठाने के फिराक में, जिससे वो क्षेत्रीय ताकतों के बीच नया समीकरण उभर सकता है. वहीं, हाल ही के कुछ वषों में तुर्किए ने बांग्लादेश में अपनी उपस्थिति को तेजी से बढ़ाया है. तुर्किए ने व्यापार, रक्षा और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने का प्रयास भी किया है.

तुर्किए बांग्लादेश संबंधों को गहरा करने के लिए तैयार

बता दें कि हाल ही में तुर्किए के व्यापार मंत्री ओमेर बोलात के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने बांग्लादेश के अंतरिम सरकार प्रमुख मोहम्मद यूनुस से मुलाकात की. इस दौरान उन्‍होंने सपष्‍ट किया कि तुर्किए बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को और गहरा करने के लिए तैयार है, खासतौर उस वक्‍त जब भारत के साथ उसके रिश्‍ते कमजोर हो गए हैं.

बांग्लादेश में निवेश करने का अनुरोध

इस मुलाकात के दौरान मोहम्मद यूनुस ने तुर्किए से बांग्लादेश में निवेश करने का अनुरोध किया साथ ही तुर्किए से उनके देश के युवा कार्यबल का उपयोग करने का भी सुझाव दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने तुर्किए से बांग्लादेश के रक्षा उद्योग को विकसित करने में मदद की मांग की, जिससे क्षेत्र में नई शक्ति संतुलन उभर सकता है.

बांग्लादेश में तुर्किए का रक्षा सहयोग

दोनों देशों की बातचीत में सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की संभावनाएं थीं. इस दौरान मोहम्मद यूनुस ने खुलकर कहा कि “आप प्रौद्योगिकी के नेता हैं. आप यहां रक्षा उद्योग स्थापित कर सकते हैं. चलिए शुरुआत करते हैं.” यूनुस का ये बयान बांग्लादेश की रक्षा क्षमता को मजबूत करने की उसकी इच्छा को दर्शाता है, वहीं, तुर्किए भी इस परिवर्तन में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार है.

जानकारों के मुताबिक, तुर्किए की रक्षा तकनीक और उपकरणों जैसे ड्रोन और टैंकों की आपूर्ति के जरिए बांग्लादेश की सैन्य क्षमताओं को मजबूत कर सकती है, जिससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में बदलाव आ सकता है.

भारत की जगह लेने की तुर्किए की योजना

रिपोर्ट्स के मुताबिक, तुर्किए की महत्वाकांक्षा सिर्फ रक्षा सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि अंकारा अब बांग्लादेश के आयात बाजार में भारत की जगह लेने की योजना बना रहा है. इसी बीच ओमेर बोलात ने स्पष्ट रूप से कहा कि हम बांग्लादेश के आयात में भारत और अन्य बाजारों की जगह ले सकते हैं.

तुर्किए-पाकिस्तान-बांग्लादेश गठजोड़

दरअसल, तुर्किए का बांग्लादेश में यह बढ़ता प्रभाव हाल ही में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच हुए ऐतिहासिक समझौते के बाद देखा जा रहा है. दोनों देशों के बीच हुई इस समझौते के तहत पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश की नौसेनाएं 2025 के फरवरी महीने में सैन्य अभ्यास करेंगी, जो 1971 के बाद से पहली बार हो रहा है.

दोनों देशो का यह गठजोड़ न सिर्फ क्षेत्रीय संबंधों में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है, बल्कि भारत के लिए एक नई चुनौती भी है. ऐसे में तीनों देश तुर्किए-पाकिस्तान-बांग्लादेश का यह नया गठजोड़ भारत के लिए रणनीतिक रूप से चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि इससे दक्षिण एशिया में भारत की स्थिति कमजोर हो सकती है.

भारत के लिए खतरा..

तुर्किए के बांग्लादेश के साथ बढ़ते संबंध और पाकिस्तान के साथ उसके गहरे रिश्ते भारत के लिए गंभीर रणनीतिक चुनौती बन सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, दशकों से भारत और बांग्लादेश के बीच मजबूत व्यापार और रक्षा सहयोग रहा है, लेकिन हाल के राजनीतिक बदलावों और बांग्लादेश की विदेशी साझेदारियों में विविधता लाने की रुचि के कारण भारत की स्थिति कमजोर हो सकती है.

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